संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को दोनों सदनों में हंगामा हुआ. कांग्रेस सहित तमाम दलों के अलग-अलग मुद्दों पर हंगामे के चलते कामकाज बाधित हुआ. हालांकि इस बीच राज्यसभा में विधायी कामकाज भी आगे बढ़ा. लोकसभा में भी बांध सुरक्षा से जुड़ा विधेयक पेश किया गया.
संसद के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन और दोनों सदनों में बुधवार को जमकर हंगामा देखने को मिला. कावेरी जल विवाद, राफेल सौदे, राम मंदिर और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने जैसे मसलों पर कांग्रेस, एआईडीएमके, शिवसेना और टी़डीपी जैसे दलों के हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पाई.
राज्य सभा में हंगामे और शोर-शराबे के बीच ऑटिज्म बीमारी से संबंधित संशोधन विधेयक संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. विधेयक में ऑटिज्म पीड़ित दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय न्यास के गठन में नियमों की बाधाओं को दूर करने का प्रावधान है. विधेयक में नियुक्ति की प्रक्रिया और नियमों को आसान बनाने के उपाय किए गए हैं.
वहीं लोकसभा में भी विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही 12 बजे ही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी. हालांकि इस बीच बांधों की सुरक्षा से जुड़ा बांध सुरक्षा विधेयक 2018 पेश किया गया. बीजेडी की ओर से बिल पर कुछ आपत्ति पेश की गई लेकिन सरकार ने आपत्ति को खारिज कर दिया.
विधेयक में आपदाओं से संबंधित बांध से जुड़ी समस्याओं के निवारण और बांध सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के लिए संबंधित नीति विकसित करने तथा आवश्यक विनियमों की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति के गठन का प्रस्ताव किया गया है. बांधों की समुचित निगरानी, निरीक्षण और अनुरक्षण के लिए नीति, मार्गदर्शक सिद्धांत और मानकों के क्रियान्वयन के लिए और दो राज्यों के राज्य बांध सुरक्षा संगठनों और उस राज्य में बांध स्वामी के बीच किसी मुद्दे का समाधान करने के लिए विनियामक निकाय के रूप में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है. 16वीं लोक सभा का अंतिम पूर्णकालिक सत्र होने के दौरान विपक्ष भी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं गवाना चाहेगी. ऐसे में देखना होगा कि सरकार विधायी कामकाज की प्रगति को लेकर कितना कामयाब हो पाती है.
