अप्रैल 2017 से जुलाई 2018 तक 12 राज्य स्तरीय मीटिंगों में मिली मंज़ूरी
352 मामलों में से 226 केस पिछली सरकार के समय के हैं
किसानों की आर्थिकता को प्रोत्साहन देने के लिए पंजाब सरकार वचनबद्ध – राजस्व मंत्री
चंडीगढ़
आत्महत्या करने वाले किसानों और खेत मज़दूरों के परिवारों को वित्तीय मदद प्रदान करते हुए पंजाब सरकार ने जुलाई 2018 तक 352 मामलों में 998 लाख रुपए की मुआवज़ा राशि स्वीकृत की है। इस संबंधी जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री श्री सुखबिन्दर सिंह सरकारिया ने बताया कि इस संबंधी गठित की गई राज्य स्तरीय कमेटी (एसएलसी) ने अप्रैल 2017 से लेकर जुलाई 2018 तक 12 मीटिंगों के द्वारा कुल 998 लाख रुपए की मुआवज़ा राशि को स्वीकृति दी है। उन्होंने बताया कि सवा साल के दौरान कुल 352 मामलों में 998 लाख रुपए की राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। राजस्व मंत्री ने कहा कि साल 2015 में जब से यह स्कीम शुरू हुई है, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन कांग्रेस सरकार ने सबसे ज़्यादा मुआवज़ा राशि वितरित की है। इन 352 मामलों में से 226 केस ऐसे हैं जो पिछली सरकार के समय के हैं जबकि इन मामलों को मंज़ूरी मौजूदा सरकार ने दी है। राजस्व मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों की ख़ुशहाली और कल्याण के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है और सीमित साधनों के बावजूद किसानी को मौजूदा खेती संकट में से निकालने की कोई कसर नहीं छोड़ रही। उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिकता को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारशों को तुरंत लागू करे जिससे किसानों को फ़सल का लाभप्रद भाव यकीनी बनाने के साथ-साथ कृषि को वित्तीय तौर पर समर्थ पेशा बनाया जा सके।
श्री सरकारिया ने किसानों और खेत मज़दूरों से अपील की कि वह आत्महत्या जैसा रास्ता छोडक़र पंजाब सरकार की तरफ से किसानी को पुन: रास्ते पर लाने के लिए की जा रही कोशिशों में साथ दें जिससे मिलजुल कर पंजाब को कजऱ्े के बोझ से निकाला जा सके।
मुआवज़ा राशि संबंधी विस्तृत जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 6 अप्रैल 2017 को हुई राज्य स्तरीय कमेटी में 44 मामलों के लिए 110 लाख रुपए की मुआवज़ा राशि को मंज़ूरी दी गई थी। इसी तरह 6 जून, 2017 को 22 मामलों के लिए 62 लाख रुपए, 11 अगस्त, 2017 को 48 मामलों के लिए 139 लाख रुपए, 15 नवंबर 2017 को 92 मामलों के लिए 260 लाख रुपए और 18 दिसंबर की मीटिंग में 46 मामलों के लिए 134 लाख रुपए की मंज़ूरी दी गई थी। 18 जनवरी 2018 की मीटंग में कोई मामला नहीं विचारा जा सका था। उन्होंने आगे बताया कि 20 फरवरी, 2018 की मीटिंग में 14 मामलों के लिए 41 लाख रुपए, 15 मार्च 2018 को 13 मामलों के लिए 39 लाख रुपए, 16 अप्रैल, 2018 को 17 मामलों के लिए 50 लाख रुपए, 15 मई को 18 मामलों के लिए 53 लाख रुपए, 13 जून, 2018 को 20 मामलों के लिए 57 लाख रुपए और 18 जुलाई, 2018 की राज्य स्तरीय मीटिंग में 18 मामलों के लिए 53 लाख रुपए की राशि मंज़ूर की गई है।