औद्योगिक इकाईयों के आधुनिकीकरन और वृद्धि में मिलेगी मदद
25 एकड़ में स्थापित होने वाले औद्योगिक पार्कों को 50 प्रतिशत क्षेत्रफल रिहायशी और व्यापारिक तौर पर विकसित करने की मिलेगी मंज़ूरी
चंडीगढ़,
पंजाब के उद्योग और वाणिज्य मंत्री श्री सुन्दर शाम अरोड़ा ने कहा है कि नई औद्योगिक नीति में संशोधनोंं से राज्य में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने राज्य में उद्योग पक्षीय माहौल सृजित करने और उद्योग जगत में विश्वास पैदा करने हित कई रचनात्मक कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि इस नीति में उद्योगों की माँग के अनुसार उद्योगों को कई वित्तीय रियायतें दी गई हैं जिनसे औद्योगिक इकाईयों के आधुनिकीकरन और वृद्धि में मदद मिलेगी। श्री अरोड़ा ने बताया कि नई औद्योगिक नीति में स्टैंप ड्यूटी से छूट, सी.एल.यू /ई.डी.सी. से छूट, बिजली कर से छूट, प्रोप्रटी टैकस से छूट, वैट/ एस.जी.एस.टी. की अदायगी के द्वारा इनवेस्टमैंट सब्सिडी, छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए ब्याज सब्सिडी, प्रौद्यौगिकी प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता, पर्यावरण के संरक्षण के लिए सहायता, स्टार्ट -अप उद्यमियों के लिए रियायतें और स्थापित एंकर इकाईयों को रोजग़ार पैदा करने के लिए महिलाओं/ एस.सी. / बी.सी. /बी.सी. श्रमिकों के लिए सब्सिडी 36 हज़ार रुपए से 48 हज़ार रुपए प्रति रोजग़ार प्रति साल के लिए, सीमावर्ती क्षेत्र में स्थापित होने वाली पहली इकाईयों को अतिरिक्त रियायत और छोटी और बड़ी बीमार इकाईयों के लिए विशेष राहत पैकेज स्कीम आदि संशोधन किए गए हैं।
श्री अरोड़ा ने बताया कि नई संशोधित नीति के अंतर्गत अब कम-से -कम 25 एकड़ में स्थापित होने वाले औद्योगिक पार्कों को 50 प्रतिशत क्षेत्रफल रिहायशी और व्यापारिक तौर पर विकसित करने की मंज़ूरी दी जायेगी और औद्योगिक क्षेत्रफल और कोई सी.एल.यू. या ई.डी.सी. नहीं लगेगा। उन्होंने बताया कि कैपीटिव जनरेटर का इस्तेमाल करने वाली इकाईयों को सहायता देने के लिए विभिन्न स्टेक होल्डरों के साथ सलाह करके अपेक्षित सहायता उपलब्ध करवाई जाऐगी। उन्होंने कहा कि नए संशोधनोंं के अनुसार नैट एस.जी.एस.टी की लाभ की स्कीम संबंधी सरकार द्वारा अलग मुकम्मल स्कीम नोटीफायी की जाएगी। उन्होंने बताया कि बड़े क्षेत्र की बीमार इकाईयों को खरीदने वाले औद्योगिक अदारों को विशेष राहत पैकज दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीमार इकाई की एंटर प्राईज़ वैल्यू कम-से -कम 5 करोड़ होनी चाहिए। बीमारी इकाईयां कम-से -कम पाँच साल कार्यशील रही हो और इसकी नैट वर्थ ख़त्म हो गई हो या इकाई का खाता पिछले आठ तिमाही के दौरान लगातार एन.पी.ए घोषित किया हों। उन्होंने बताया कि ऐसी बीमार इकाईयों को खरीदने वाले इकाईयों को बिजली कर से छूट और नैट एस.जी.एस.टी का लाभ तीन साल से बड़ा कर सात साल किया गया है. श्री अरोड़ा ने और विवरण देते हुए बताया कि बिजली कर की छूट के अंतर्गत सोशल सिक्यूरिटी सैस की छूट प्राप्त नहीं होगी। उन्होंने बताया कि नई नीति के अंतर्गत एलाने गए थ्रस्ट सैक्टर में मैन्यूफ़ेक्चरिंग सैक्टर और सर्विस सैंटर आदि नये सैक्टर शामिल किये गए हैं। उन्होंने बताया कि फूड प्रोसेसिंग एंकर इकाईयों को प्राईवेट मार्केट यार्ड के तौर पर खरीदे कच्चे माल पर खरीद मूल्य पर लगे 2 प्रतिशत की रकम से 100 प्रतिशत छूट, बड़ी इकाईयों को बिजली कर से 10 साल के लिए 100 प्रतिशत बिजली कर से छूट और एंकर इकाईयों को 15 साल के लिए बिजली कर से 100 प्रतिशत छूट दी गई है। इसके इलावा जो कोई इकाई भारत सरकार की क्रेडिट लिंकड कैपिटल सब्सिडी स्कीम के अंतर्गत पूरा लाभ ले चुकी हों उनको भी अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। उद्योग और वाणिज्य मंत्री ने बताया कि नए संशोधनोंं के अंतर्गत $फेज प्रोडक्शन / एक्सपैनशन / डाईवर्सिफिकेशन / मॉडर्नायजेशन के अंतर्गत डेट ऑफ प्रोडक्शन वही मानी जाएगी जो कि इकाई द्वारा सम्बन्धित $फेज प्रोडक्शन / एक्सपैनशन / डाईवर्सिफिकेशन / मॉडर्नाइजेशन की मुकम्मल अचल पूँजी पूरी होने पर घोषित की हों। उन्होंने बताया कि 500 करोड़ से अधिक अचल पूँजी वाली इकाईयों को उत्पादन की पहली तारीख़ से लेकर पाँच साल तक किये गए निवेश को योग्य माना जाएगा और पाँच अतिरिक्त पात्रता सर्टिफिकेट जारी किये जा सकेंगे। इसके इलावा 100 करोड़ से अधिक अचल पूँजी की इकाईयों को एक्सपैनशन के लिए कम से कम 50 करोड़ का अतिरिक्त अचल पूँजी निवेश करना होगा। उन्होंने बताया कि मार्केट फीस, रुरल् डिवैल्पमैंट फीस और राज्य के अन्य टैक्सिज आदि के इलावा फूड प्रोसैंसिंग इंडस्ट्रीज के कच्चे माल और लगने वाली फीस से 100 प्रतिशत की छूट दी जायेगी और फूड प्रोसेसिंग इकाईयों को कच्चा माल खरीदने के लिए सभी टैक्स और फ़ीसों की अदायगी 10 साल के लिए छूट में बदली जाएगी.
