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भूकंप के झटकों से दहला दिल्‍ली-एनसीआर

भूकंप के झटकों से दहला दिल्‍ली-एनसीआर, चार दिन में दूसरी बार हिली धरती
नई दिल्ली-चार दिनों के भीतर दिल्ली-एनसीआर फिर भूकंप आया, हालांकि इससे किसी नुकसान की खबर नहीं है। दिल्ली-एनसीआर में लोगों ने 10 बजकर 17 मिनट पर इस भूकंप के कंपन महसूस किए। समाचार एजेंसी के मुताबिक, भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर के साथ जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भी महसूस किए गए। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ईएमएससी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता 5.6 रही। एजेंसी के मुताबिक, कश्मीर और उसके आसपास भूकंप के झटके आए। वहीं, शिमला भूकंप केंद्र ने चंबा में 3.51 मिनट पर आए भूकंप को 3.2 और तीन घंटे 40 मिनट बाद मंडी में आए दूसरे झटके को 3.8 तीव्रता का बताया है। पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और रावलपिंडी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।भूकंप का केंद्र जमीन के 40 किमी नीचे उत्तर पश्चिम कश्मीर में श्रीनगर से 118 किलोमीटर दूर बताया गया है। भूकंप से फिलहाल किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। दहशत के कारण लोग घरों के बाहर आ गए। हिमाचल प्रदेश के चंबा और मंडी में अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बता दें कि चार दिन पहले भी शनिवार शाम में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। दिल्ली-एनसीआर में शनिवार शाम को छह बजे के आसपास झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 6.4 थी और इसका केंद्र हिंदूकुश की पर्वत श्रृंखला में 200 मीटर भीतर था।भूकंप के झटके हल्के थे, लेकिन दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, सोनीपत में लोगों ने महसूस किए। जानकारी के अनुसार भूकंप के झटके दिल्ली के अलावा हरियाणा (सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, बल्लभगढ़) और यूपी (नोएडा, गाजियाबाद) में भी महसूस किए।
पृथ्वी बारह टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है, जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में है। ये प्लेटें लावे पर तैर रही होती हैं। इनके टकराने से ही भूकंप आते हैं। टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं और खिसकती भी हैं। हर साल ये प्लेट्स करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। इस क्रम में कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। जिनकी वजह से भूकंप आते हैं।यहां पर बता दें कि दिल्ली जोन-4 में आता है, जबकि मुंबई और कोलकाता जोन-3 में में है। यह अलग बात है कि अब तक देश के प्रमुख शहरों में शुमार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। दिल्ली भूकंप जोन-4 में स्थित है, ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना है। एतिहासिक संकेतों के मुताबिक एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। यह सबक बिहार में 1934 और असम में 1950 में आए भूकंप से मिलता है।भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, 1950 के असम के भूकंप ने हिमालय में एक बड़े भूकंप की जमीन तैयार कर दी है। इस भूकंप के बाद 65 साल बीत गए हैं और संभव है कि कोई विकराल भूकंप आने ही वाला हो।
भूकंप का खतरा नहीं झेल पाएगी दिल्ली:-बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी। वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।
भूकंप का एहसास होते ही घबराएं नहीं। घर से बाहर किसी खाली जगह पर खड़े हो जाना चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों को पहले घर से बाहर निकालें, किनारे में खड़े रहें। घर में भारी सामान सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए।

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