ब्रेग्जिट समझौते के पक्ष में 202 वोट तथा विपक्ष में 432 वोट
पड़े हैं। डील खारिज होने के बाद ब्रिटेन की यूरोपीय संघ से अलग होने की
योजना खटाई में पड़ गई है। वहीं पीएम टरीजा को इस्तीफा तक देना पड़ सकता
है।
लंदन-ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने या फिर अलग
होने को लेकर वहां के संसद में हुए मतदान में प्रधानमंत्री टरीजा मे की
करारी हार हुई है। ब्रेग्जिट समझौते के पक्ष में 202 वोट तथा विपक्ष में
432 वोट पड़े हैं। डील खारिज होने के बाद ब्रिटेन की यूरोपीय संघ से अलग
होने की योजना खटाई में पड़ गई है। वहीं पीएम टरीजा को इस्तीफा तक देना पड़
सकता है।
बता दें कि ब्रेग्जिट से निकलने के लिए 29 मार्च की तारीख
निर्धारित की गई है। अभी इसमें दो महीने का समय बचा है। अब ब्रिटिश संसद
में प्रस्ताव पारित नहीं होने की स्थिति में ब्रिटेन की यूरोपीय संघ छोड़ने
की योजना खटाई में पड़ सकती है। या फिर ब्रेग्जिट के लिए अतिरिक्त समय की
मांग की जा सकती है।
प्रधानमंत्री टरीजा मे को मतदान से पहले ही
अपनी हार का डर सता रहा था और वह पहले भी एक बार वोटिंग को टलवा चुकी थीं।
वह लगातार सांसदों से पक्ष में वोट करने की अपील कर रही थीं। गौरतलब है कि
करीब 18 महीने तक चली बातचीत की प्रक्रिया के बाद नवंबर में यूरोपीय संघ के
साथ ब्रेग्जिट समझौते पर सहमति हुई थी। दिसंबर में समझौते को लेकर निम्न
सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) में मतदान होना था, लेकिन हार के डर से इसे टाल दिया
गया था।
विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने कहा कि
प्रधानमंत्री टरीजा मे सांसदों की चिंताओं को दूर करने में पूरी तरह से
नाकाम रही हैं और यदि वह मतदान में हार जाती हैं तो उन्हें चुनाव कराना
चाहिए। ब्रेग्जिट पर शाम 7 बजे मतदान शुरू हुआ और देर रात फैसला आ गया।
उम्मीद किया जा रहा है कि ब्रेग्जिट समझौते में बदलाव होगा या फिर इसे रद्द
कर दिया जाएगा।
पीएम टरीजा अगर प्रस्ताव खारिज होने के बाद भी 29
मार्च को यूरोपीय संघ से अलग हो जाती हैं तो इससे दुनिया की पांचवी सबसे
बड़ी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा और वैश्विक बाजार में उसकी
साख कमजोर हो सकती है। संसद के नियम के मुताबिक टरीजा मे प्रस्ताव पारित
कराने में विफल हुईं और उन्हें तीन दिन के अंदर अपने अगले कदम को बताते हुए
नया प्रस्ताव लेकर आने की जरूरत है। वहीं दिसंबर में लाए गए विश्वास
प्रस्ताव में टरीजा मे के खिलाफ कुल 317 वोट पड़े थे, जिसमें उनकी पार्टी
के 117 सांसद भी शामिल थे। ऐसी स्थिति में प्रस्ताव पर हार मिलने के बाद
उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा।
