एक कहावत है कि नाम में क्या रखा है. लेकिन जब नाम रखने के बाद जैसा सोचा था वैसा ही होने लगे तो आप क्या कहेंगे. जी हां पश्चिम बंगाल के 10 साल के निशानेबाज अभिनव शॉ का नाम ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा के नाम पर उनके पिता ने रखा और नियति का खेल देखिए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में निशानेबाजी स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा की तर्ज पर गोल्ड मेडल जीतने वाले अभिनव सबसे कम उम्र के निशानेबाज बने.
10 साल पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में जब अभिनव बिंद्रा ने भारत को निशानेबाजी में गोल्ड मेडल दिलाया. तब खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि उनके नाम से एक दशक बाद निशानेबाजी की दुनिया में एक और धमाका होगा. पश्चिम बंगाल के 10 वर्षीय अभिनव शॉ ने जब अपने साथी निशानेबाज मेहुली घोष के साथ मिल कर खेलो इंडिया अंडर-17 में निशानेबाजी के मिक्स्ड इवेंट के 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड पर निशान साधा तो आस-पास खड़े लोगों को यकीन नहीं हुआ.
मेहुली और अभिनव के लिए राहत की बात यह रही कि ये दो निशानेबाज एक ही एकेडमी में अभ्यास करते हैं. जिसकी वजह से दोनों के बीच अच्छी समझ और तालमेल देखने को मिला.
राष्ट्रीय स्तर पर अभिनव शॉ का यह पहला गोल्ड मेडल है, लेकिन वे राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं पर वह पिछले 4 साल से सक्रिय हैं. अभिनव की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का बड़ा हाथ है, जो दिन-रात अभिनव के साथ रहते हैं. साथ ही खेलो इंडिया जैसे प्लेटफॉर्म का भी, जिससे इस नन्हें से चैंपियन को पहचान मिली.
खेलों के लिए इस्तेमाल होने वाली राइफल में बारूद नहीं होती इसलिए अभिनव को इसे इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई. अब चूंकि अभिनव खेलो इंडिया के सबसे युवा चैंपियन बन चुके हैं, ऐसे में उनको मिलने वाली स्कॉलरशिप के जरिए वे निश्चित रूप से उस मुकाम को छूने में सफल होंगे, जिसकी तमन्ना अभिनव के पिता 2008 से देख रहे हैं.
