प्रधानमंत्री ने अंडमान स्थित साउथ प्वाइंट पर द्वीप का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। ये झंडा 150 फीट ऊंचा है। ये ऐतिहासिक दृष्टि से भी अहम है। ये वही जगह है जहां 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने झंडा फहराया था। अंग्रेजों की गुलामी में जकड़े भारत में यह पहली बार ही था जब अंडमान-निकोबार की सरज़मीं पर तिंरगा फहराया गया।
प्रधानमंत्री ने अंडमान स्थित साउथ प्वाइंट पर द्वीप का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया। ये झंडा 150 फीट ऊंचा है। ये ऐतिहासिक दृष्टि से भी अहम है। ये वही जगह है जहां 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने झंडा फहराया था। अंग्रेजों की गुलामी में जकड़े भारत में यह पहली बार ही था जब अंडमान-निकोबार की सरज़मीं पर तिंरगा फहराया गया।
प्रधानमंत्री ने पोर्ट ब्लेयर में ही नेताजी को श्रद्धांजलि दी। सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई वाली आज़ाद हिंद फौज सरकार को अंडमान-निकोबार जापान ने 7 नवंबर 1943 को सौंपा था। इससे पहले इसी साल 4 जुलाई 1943 में ही रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फौज की कमान नेताजी को दी थी। गौरतलब है कि आज़ाद हिंद फौज की स्थापना जापान में 1942 में रासबिहारी बोस ने ही की थी। अंडमान में निकोबार आज़ाद हिंद सरकार की कमान में आने के बाद 30 दिसंबर 1943 को ही झंडा फहराने के बाद नेताजी ने इस द्वीप का नामकरण ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ भी किया था।