चंडीगढ़ – पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा शाहपुर कंडी डैम प्रोजैक्ट में राज्य के योगदान को घटाने सम्बन्धी की गई विनती को केंद्र सरकार ने स्वीकृत कर लिया है और रावी पर इस प्रोजैक्ट में अपना हिस्सा 60 से बढ़ाकर 86 प्रतिशत करने की सहमति प्रकट कर दी है जिससे इसमें पंजाब का हिस्सा केवल 14 प्रतिशत रह गया है । जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प बारे केंद्रीय मंत्रालय की तरफ से इस राष्ट्रीय प्रोजैक्ट में केंद्र और राज्य के अनुपात में संशोधन किया है । इस सम्बन्ध में केंद्रीय मंत्रालय की तरफ से पत्र प्राप्त होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रोजैक्ट से राज्य का सिंचाई सामथ्र्य कई गुणा अधिक हो जायेगा ।मुख्यमंत्री ने विनती स्वीकृत करने के लिए केंद्र का धन्यवाद किया है । उन्होंने कहा कि इससे राज्य में नहरी सिंचाई की बढ़ रही माँग के साथ निपटा जा सकेगा । उन्होंने कहा कि इससे राज्य के तकरीबन 150 करोड़ रुपए बचेंगे । एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार केंद्रीय मंत्रालय से प्राप्त हुए पत्र के अनुसार शाहपुर कंडी प्रोजैक्ट की अनुमानित लागत 2715.70 करोड़ रुपए है जिसमें सिंचाई कम्पोनेंट (स्वीकृत लागत का 28.61 प्रतिशत) और पावर कम्पोनेंट (स्वीकृत लागत का 71.39 प्रतिशत) की राशि क्रमवार 776.96 करोड़ और 1938.74 करोड़ रुपए है । इस प्रोजैक्ट की 564.63 करोड़ रुपए की राशि में 485.38 करोड़ रुपए की मंजूरशुदा केंद्रीय सहायता सिंचाई कम्पोनेंट के बकाया कार्य के लिए मुहैया करवाई जायेगी । सिंचाई कम्पोनेंट में राज्य का समूचा हिस्सा, पावर कम्पोनेंट की कुल लागत और प्रोजैक्ट की स्थापति लागत पंजाब सरकार द्वारा वहन की जायेगी । प्रवक्ता के अनुसार रावी केनाल के मुख्यडैम के रहते हिस्से और कश्मीर केनाल का साईफन का काम 2021 तक मुकम्मल होगा । यह समूचा प्रोजैक्ट जून, 2022 तक मुकम्मल हो जायेगा । पंजाब राज्य में रावी नदी पर शाहपुर कंडी डैम (राष्ट्रीय प्रोजैक्ट) को लागू करने के लिए केंद्रीय सहायता की फंडिंग नाबार्ड के द्वारा उस मौजूदा प्रणाली के अधीन की जायेगी जो 99 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-ऐक्सलरेटिड ईरीगेशन बैनीफिट प्रोग्राम (ए.आई.बी.पी) प्रोजैक्ट के लिए लंबी मियाद वाले सिंचाई फंडों के लिए है । इसकी शर्तें और नियम इसके वाले ही रहेंगे । यह प्रोजैक्ट पंजाब सरकार द्वारा लागू किया जायेगा । इसको लागू करने का समय दिसंबर, 2018 से जून, 2022 है । प्रोजैक्ट पर निगरानी रखने के लिए पंजाब और जम्मू कशमीर के सम्बन्धित चीफ़ इंजीनियरों और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों की कमेटी बनाई जायेगी जो एक प्रोजैक्ट को लागू करने पर निगरानी रखेगी और यह यकीनी बनाऐगी कि इसका निर्माण दोनों राज्यों में हुए समझौते के अनुसार हो । यह केंद्रीय जल कमिशन के मैंबर के नेतृत्व वाली कमेटी से अलग होगी ।
