भारत

तेलंगाना में सरकार का गठन, टीआरएस के मुखिया के चंद्रशेखर राव ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की ली शपथ

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाली पार्टी टीआरएस के मुखिया के चंद्रशेखर राव ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. केसीआर के नाम से जाने वाले के चंद्गशेखर राव ने छह महीने पहले ही विधानसभा भंग कर अन्य चार राज्यों के साथ चुनाव में भाग लेने का फैसला किया था, यह फैसला सही साबित हुआ। तो वहीं मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरमथंगा को शनिवार को दोपहर 12 बजे आइजोल स्थित राजभवन में मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।

और इसी के साथ तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चन्द्रशेखर राव ने लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। केसीआर के नाम से लोकप्रिय राव को राजभवन परिसर में आयोजित सादे समारोह में राज्यपाल ई.एस.एल. नरसिम्हन ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। राव के साथ पार्टी एमएलसी मोहम्मद महमूद अली ने भी बतौर मंत्री पद की शपथ ली। अली पूर्ववर्ती टीआरएस सरकार में उपमुख्यमंत्री थे । राज्य में समयपूर्व, सात दिसंबर को हुए विधानसभा चुनाव में राव की पार्टी ने शानदार जीत हासिल की है। पार्टी के नव-निर्वाचित विधायकों ने बुधवार को सर्वसम्मति से राव को विधायक दल का नेता चुना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केसीआर को बधाई दी है। पीएम ने ट्विटर पर लिखा- तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए केसीआर गारु को बधाई । उनके आने वाले कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।

राज्य में 119 विधानसभा सीटों के लिए सात दिसंबर को हुए चुनाव में टीआरएस को 88 सीटें मिली हैं। वहीं कांग्रेस की अगुवाई में बना ‘प्रजा कुटमी’ गठबंधन केवल 21 सीटें ही जीत पाया। राज्य में भाजपा को   एक सीट मिली है।

वहीं बात मिजोरम की करें तो मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरमथंगा को शनिवार को दोपहर 12 बजे आइजोल स्थित राजभवन में मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे । राजभवन से मिली खबरों के मुताबिक  राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन ने चुनाव अधिकारियों से नतीजे की हस्ताक्षरित अधिसूचना मिलने के बाद जोरमथंगा को बुधवार को अगली सरकार बनाने के लिए औपचारिक रुप से निमंत्रित किया।  राज्यपाल ने आठवीं विधानसभा के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए  सातवीं विधानसभा भंग कर दी है ।

मिजोरम के दो बार मुख्यमंत्री रहे जोरमथंगा ने चुनावों में दमदार वापसी की है । विद्रोही से नेता बने 74 वर्षीय जोरमथंगा पूर्व भूमिगत नेता हैं और एमएनएफ के दिग्गज नेता लालडेंगा के करीबी रह चुके हैं। एमएनएफ 40 सदस्यीय विधानसभा में 26 सीटें जीतकर एक दशक बाद सत्ता में लौटा है। इसी के साथ कांग्रेस पूर्वोत्तर के अपने इस अंतिम गढ़ में धराशायी हो गयी। बीजेपी ने एक सीट जीतकर राज्य में पहली बार अपना खाता खोला। कांग्रेस महज पांच सीट पर सिमट गयी। राज्य में 28 नवंबर को चुनाव हुए थे।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.

eight + 7 =

Most Popular

To Top