वाशिंगटन – अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कहा है कि एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देश चीन के भारी कर्ज के तले दबने से चिंतित हैं। इस वजह से वे अमेरिका का दखल चाहते हैं।
यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक कार्यक्रम में मंगलवार को मैटिस ने कहा, ‘जहां हो सकेगा चीन के साथ अमेरिका सहयोग करेगा और जहां अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में स्वतंत्र आवाजाही जैसा मामला होगा वहां मुकाबला करेगा। मैं अभी सिंगापुर में आसियान देशों से मिलकर लौटा हूं। वहां कई देशों ने निजी तौर पर मुझसे कहा कि उन्हें हमारे दखल की क्यों जरूरत है क्योंकि चीन जो कुछ कर रहा है और भारी कर्ज दे रहा है उसे लेकर वे चिंतित हैं।’
चीन पर पूछे गए एक सवाल पर मैटिस ने कहा, ‘श्रीलंका में क्या हुआ? वे अपने ही बंदरगाह पर अपना अधिकार खो बैठे हैं।’ उन्होंने कहा कि आज की दुनिया तीन तरह के खतरों का सामना कर रही है। अमेरिका इन खतरों को ताकत, तात्कालिकता और इच्छाशक्ति के नजरिये से देखता है।
मैटिस ने कहा, ‘ताकत के संबंध में हम रूस की ओर देख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर पिछले दस साल के दौरान जॉर्जिया, क्रीमिया और सीरिया में उसकी हरकतों पर गौर करें। तात्कालिकता का संबंध हिंसक चरमपंथियों के खिलाफ मौजूदा लड़ाई से है। उदाहरण के लिए आइएस को परास्त करने के लिए दुनिया के 70 देश सहयोग कर रहे हैं। इच्छाशक्ति का स्पष्ट जुड़ाव चीन से है।’