हिमाचल प्रदेश

बैंकों को ऋण-जमा अनुपात बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए : मुख्यमंत्री

बैंकरों को लक्षित क्षेत्रों कृषि, पर्यटन, बागबानी, सेवा क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए ऋण-जमा अनुपात को बढ़ावा देना चाहिए। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां राज्य स्तरीय बैंकर्ज सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ऋण-जमा अनुपात 35.47 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 75.64 प्रतिशत से काफी कम है। उन्होंने कहा कि बैंकों को लोगों को संस्थागत ऋण उपलब्ध करवाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए। अनुप्रासंगिक मुक्त ऋण के लिए तथा ऋण गारंटी कवरेज प्रदान करने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर मीडिया एंड स्मॉल इंटरप्रन्योर (सीजीटीएमएसई) के पूर्वावलोकन के तहत राज्य में सहकारी बैंक लाने के प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बैंकों को ऋण प्रदान करने के लिए जटिल प्रक्रियाओं और दस्तावेजों को सरल बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि परिवारों के एक बड़े अनुपात में ऋण प्राप्ति के लिए गैर संस्थागत स्रोतां का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि केवल 46.51 प्रतिशत परिवारों ने ही नए संस्थागत ऋणों का विकल्प चुना है। इसलिए बैंकरों को वित्त उपलब्ध करवाने के लिए आसान व सरल प्रक्रियाएं अपनानी चाहिएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को ऋण लेने को प्रेरित करने के लिए सहकारी समितियों जैसे स्वयं सहायता समूहों, किसान संघों आदि का सहयोग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों को आवश्यकता आधारित ऋण प्रदान करने और अन्य सुविधाएं प्रदान करके लघु व सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऋण सुविधाओं में विस्तार के लिए ऋण नीति तैयार की जानी चाहिए। और तय समयावधि में ऋण-जमा अनुपात में सुधार के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि बैंकिंग गतिविधियों का विस्तार करने के लिए स्वास्थ्य, कौशल विकास, मानव संसाधन विकास आदि क्षेत्रों में अत्यधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत ऋण सुविधाएं कम हैं। इसलिए बैंकिंग क्षेत्रों को ऋण-जमा अनुपात में वृद्धि के लिए इन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्थागत ऋणों के लाभ के बारे में किसानों को जागरूक करने की जिम्मेवारी बैंकों की भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार एक लाख रुपये से कम के केसीसी ऋणों पर गारंटी लेने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए बैंकों को किसानों के केसीसी कवरेज का विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जून, 2018 तक बैंकों ने 6193.96 लाख के ऋण 4.34 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत प्रदान किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च ऋण-जमा अनुपात का मतलब उच्च पूंजी निर्माण है जो रोजगार सृजन करता है तथा आय व संपत्ति भी उत्पन्न करता है तथा इससे सतत विकास को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योगपतियों की सुविधा के लिए औद्योगिक कलस्टर, औद्योगिक हब तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि बैंकरों को उन्हें बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए आगे आना चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची ने कहा कि राज्य में बैंकों के पास 1.05 लाख करोड़ रुपये की जमा पूंजी है जबकि इसमें से केवल 37400 करोड़ के ऋण हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को ऋण-जमा अनुपात बढ़ाने के लिए आवास क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए।
राज्य स्तरीय बैंकर्ज सम्मेलन के संयोजक व यूको बैंक के महाप्रबंधक विवेक कौल तथा भारतीय रिजर्व बैंक के प्रोफेसर सतीश वर्मा ने इस अवसर पर प्रस्तुति दी।
सचिव वित्त अक्षय सूद ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी, रामसुभग सिंह, प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना, जे.सी. शर्मा तथा मनोज कुमार, सचिव, विभागाध्यक्ष तथा राज्य सरकार व बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।

 

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