पंजाब

श्री आनन्दपुर साहिब-नैना देवी जी के बीच रोपवे प्रोजैक्ट की स्थापना के लिए पंजाब और हिमाचल प्रदेश द्वारा सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर

कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने की महत्ता पर ज़ोर

चंडीगढ़ – श्री आनन्दपुर साहिब और नैना देवी जी के बीच रोपवे की स्थापना के लिए पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों द्वारा एक सहमति पत्र (एम.ओ.यू) पर हस्ताक्षर करने से इस क्षेत्र में पर्यटन को ज्यादा बढ़ावा मिलने के लिए रास्ता साफ हो गया है । इस सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर शहीद भगत सिंह के 111वें जन्म दिन मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की उपस्थित में पर्यटन और सभ्याचार मामले के पंजाब के सचिव विकास प्रताप और हिमाचल प्रदेश के पर्यटन के ए.सी.एस राम सुभाग सिंह ने किये । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि यह श्री आनन्दपुर साहिब और नैना देवी जी जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजैक्ट दोनों राज्यों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया । मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की ज्यादा क्षमता है और पर्यटन के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए इकठ्ठा होकर काम करना इस क्षेत्र के सभी राज्यों के हित में है । इस मौके पर जयराम ठाकुर ने कहा कि यह प्रोजैक्ट लम्बे समय पहले ही मुकम्मल हो जाना चाहिए था क्योंकि दोनों राज्यों के लिए इस प्रोजैक्ट की बहुत ज़्यादा महत्ता है । उन्होंने कहा कि चाहे हिमाचल ने यह प्रोजैक्ट 2014 में रद्द कर दिया था परन्तु उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ बातचीत करने के बाद इसको फिर बहाल करने की पहलकदमी की । उन्होंने कहा कि यह प्रोजैक्ट हिंदु-सिख भाईचारे का चिह्न है क्योंकि आनन्दपुर साहिब और माता नैना देवी धार्मिक स्थानों की ऐतिहासिक तौर पर बहुत ज़्यादा महत्ता है । उन्होंने कहा कि हर साल तकरीबन 25 लाख पर्यटक नैना देवी आते हैं जिनमें से 80 प्रतिशत पंजाब से होते हैं। यह प्रोजैक्ट सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी (पी.पी.पी) के तहत स्थापित किया जायेगा । इस रोपवे के साथ इन ऐतिहासिक धार्मिक स्थानों पर आने वाले लाखों लोगों को सुविधा मिलेगी और वह यहाँ बिना किसी अड़चन से आ-जा सकेंगे । इस मौके पर पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव वनीत चौधरी, पंजाब के मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, डायरैक्टर पर्यटन एम.एस. जगी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्रीकांत बेदी उपस्थित थे । पंजाब के पर्यटन विभाग ने लोअर टर्मिनल प्वाईंट स्थापित करने के लिए 108 कनाल और 13 मरले ज़मीन प्राप्त की है जोकि पंजाब के क्षेत्र में है । एक स्पैशल परपज वह्किल स्थापित करके यह प्रोजैक्ट पी.पी.पी मोड के तहत चलाया जायेगा । इस प्रोजैक्ट की अनुमानित लागत 250 करोड़ रुपए है और यह 3.5 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इसके तीन टर्मिनल प्वाईंट होंगे। लोअर टर्मिनल प्वाईंट (एल.टी.पी) आनन्दपुर साहिब में होगा। माध्यमिक टर्मिनल प्वाईंट (आई.पी.पी) तोबा में होगा जबकि अपर टर्मिनल प्वाईंट (यू.टी.पी) नैना देवी जी में होगा । एस.पी.वी के लिए भुगतान वाली कुल हिस्सेदारी एक करोड़ रुपए होगी। दोनों राज्यों की 50-50 लाख की हिस्सेदारी होगी। सहमति पत्र के अनुसार दोनों राज्यों का राजस्व में बराबर का हिस्सा होगा। इसके लिए रियायती समय 40 साल का होगा। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस प्रोजैक्ट का काम करने वाली कंपनी का गठन जल्दी हो जायेगा। इसके 10 डायरैक्टर होंगे जिसमें दोनों राज्यों के पाँच-पाँच डायरैक्टर होंगे । शुरूआती सात सालों के दौरान छूट हासिल करने वाले किसी रियायती फीस का भुगतान नहीं करेंगे। इस प्रोजैक्ट को स्थापित करने का समय तीन साल का होगा। पर्यटकों और श्रद्धालुओं को वाजिब दरों पर सफऱ मुहैया करवाया जायेगा । जिक़्रयोग है कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों द्वारा श्री आनन्दपुर साहिब और नैना देवी जी के बीच रोपवे स्थापित करने के लिए 26 जुलाई, 2012 को एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। पंजाब के पर्यटन विभाग ने इसके लिए 118 कनाल और 13 मरले ज़मीन प्राप्त की थी परन्तु हिमाचल प्रदेश सरकार ने 3 जून, 2014 को यह समझौता रद्द कर दिया था फरवरी 2018 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रोजैक्ट को फिर बहाल करने संबंधी लिखा हुआ पत्र मिलने के बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इसके लिए हिमाचल प्रदेश को अपनी सहमति दे दी थी। इसके बाद पंजाब के पर्यटन विभाग को हिमाचल प्रदेश सरकार से 5 सितम्बर, 2018 को एक स्वीकृत एम.ओ.यू प्राप्त हुआ। इसके बाद पंजाब मंत्रीमंडल ने 20 सितम्बर, 2018 को इस प्रोजैक्ट को मंजूरी दे दी ।

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