पंजाब

पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा सावन की फ़सल 2018 -19 के मंडी सीजन के लिए धान के लिए कस्टम मिलिंग नीति को सहमति

चंडीगढ़,

कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब मंत्रीमंडल ने किसानों से धान की बिना अड़चन खरीद और केंद्रीय भंडार में चावलों की सप्लाई को यकीनी बनाने के उद्देश्य से सावन की फ़सल 2018 -19 के लिए पंजाब कस्टम मिलिंग ऑफ पैडी पॉलिसी को सहमति दे दी है । इस समय पर राज्य में धान की छटाई के लिए 3710 से अधिक मीलें कार्यशील हैं । सावन की फ़सल 2018 -19 के लिए कस्टम मिलिंग के लिए बनाई गई नीति के अनुसार पनग्रेन, मार्कफैड, पनसप, पंजाब राज्य गोदाम कॉर्पोरेशन (पी.एस.डब्ल्यू.सी.) पंजाब एग्रो फूड ग्रेनज़ कॉर्पोरेशन (पी.ए.ऐफ.सी.) और भारतीय ख़ाद्य निगम (एफ.सी.आई.) और चावल मिलरों /उनके कानूनी उत्तराधिकारी कार्य करेंगे । इसके लिए खाद्य, सिविल सप्लाईज़ और उपभोक्ता मामले के विभाग नोडल विभाग के तौर पर कार्य करेगा । पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि सावन की फ़सल 2018 -19 के दौरान धान की निर्धारित प्राथमिक अलॉटमैंट का सिर्फ एक मूल तत्व सावन की फ़सल 2017 -18 के पिछले सीजन के दौरान मिल मालिकों की कारगुज़ारी पर निर्भर करेगा और मिलों को अतिरिक्त प्रतिशत रियायतें कस्टम मिलिंग के तहत चावलों की डिलीवरी की तारीख़ के अनुसार दी जाएंगी जिनमें पिछले साल का आर.ओ. धान की फ़सल भी शामिल होगा । जो मिलें 31 जनवरी, 2018 तक धान की छटाई मुकम्मल करेंगी, वह प्राथमिक निर्धारित धान का 15 प्रतिशत अतिरिक्त प्राप्त करने के योग्य होंगी । प्रवक्ता के अनुसार जो भी मिलें 28 फरवरी, 2018 तक चावलों की डिलीवरी मुकम्मल करेंगी, वह प्राथमिक निर्धारित धान का अतिरिक्त 10 प्रतिशत प्राप्त कर सकेंगी। प्रवक्ता के अनुसार जिन मिलों ने अपने परिसरों में पहले ही ड्रायर और सोरटैकसिज़ स्थापित किये हैं, वह धान का पाँच प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा वितरण के लिए योग्य होंगी । इसी तरह ही नयी स्थापित हुई चावल मिलों को एक टन की क्षमता तक 2500 मीट्रिक टन धान का वितरण किया जायेगा और वह उत्तरवर्ती रूप में अतिरिक्त प्रत्येक टन की क्षमता के लिए अतिरिक्त 500 मीट्रिक टन हिस्सा दिया जायेगा जोकि अधिक से अधिक वितरण 4000 मीट्रिक टन होगा। प्रवक्ता के अनुसार राज्य की तरफ से इस साल 190 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद किये जाने की संभावना है और यह लक्ष्य कस्टम मिलिंग नीति के तहत मुकम्मल किया जायेगा। एफ.सी.आई. को सभी बकाए चावल की सप्लाई 31 मार्च, 2019 तक की जायेगी ।

अयोग्य पार्टियों को सरकारी धान के आवंटन को सख्ती से रोकने के लिए मिल मालिकों के लिए प्रमाणित क्रेडिट रिपोर्ट पेश करनी होगी । इसके साथ ही उनको मुकम्मल क्रेडिट इंफॅार्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटड (सी.आई.बी.आई.एल.) रिपोर्ट भी इसके साथ पेश करनी होगी। यह रिपोर्ट इस मकसद के लिए उनके बैंकरों की तरफ से सभी वित्तीय तबादलों के साथ सम्बन्धित होगी। जो मिल मालिक सरकारी धान की छंटाई करने की इच्छा रखते हैं, उनका सी.आई.बी.आई.एल. स्कोर 600 से नीचे नहीं होना चाहिए और सी.आई.बी.आई.एल. सूक्ष्म, मध्यम और लघु मध्यम रंैक (सी.एम.आर.) छह या कम नहीं होना चाहिए । इसके अलावा मिल मालिकों को एक बैंक गारंटी भी देनी होगी जो मिलों के परिसरों में स्टोर किये जाने वाले कुल धान की प्राप्ति लागत का पाँच प्रतिशत कीमत के बराबर होनी चाहिए । प्रवक्ता के अनुसार किसी जिले में या बाहर अतिरिक्त धान की फ़सल रिलीज़ आर्डर के तहत रिलीज़ आर्डर (आर. ओ.) जारी करने के द्वारा तबदील किया जायेगा । जिसके तहत मिल मालिकों को 25 रुपए प्रति मीट्रिक टन की ना-वापसीयोग्य फीस जमा करवानी होगी । सम्बन्धित डिप्टी कमिशनर कमेटी के चेयरमैन होंगे और सभी खरीद एजेंसियों के जिला मैनेजर इसके मैंबर होंगे । अतिरिक्त धान की फ़सल जिले से बाहर तबदील करने के लिए खाद्य, सिविल सप्लाईज़ और उपभोक्ता मामलों के डायरैक्टर से पूर्व मंजूरी लेनी अपेक्षित होगी । मिलिंग की निर्धारित समय सूची के अनुसार मिलरों को अपने कुल चावलों में से 35 प्रतिशत की डिलीवरी 31 दिसंबर, 2018 और कुल चावलों के 60 प्रतिशत की 31 जनवरी, 2019 कुल चावलों में से 80 प्रतिशत की 28 फरवरी, 2019 और सभी चावलों की 31 मार्च, 2019 तक करनी होगी । नीति के अनुसार किसी भी विवाद के कुशल और समयबद्ध निपटारे के लिए पहली बार तीन मध्यस्थ के एक फ़ैसला करने वाले पैनल अधीन विवाद का हल करने की व्यवस्था की गई है। इसमें दोनों पार्टियाँ व्यक्तिगत तौर पर एक -एक मध्यस्थ की चयन कर सकती हैं और चुने गए मध्यस्थों द्वारा तीसरे मध्यस्थ का चुनाव आपसी सहमति के साथ किया जाऐगा । विवाद का निपटारा आर्बिटरेशन एंड कोंसिलीएशन एक्ट -1996 के अधीन चंडीगढ़ में किया जायेगा ।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.

eleven − 4 =

Most Popular

To Top