सामाजिक विकास के लिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण अनिवार्य है । इस उद्देषश्य की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि महिलाओं का आर्थिक सषक्तिकरण सुनिष्चित किया जा सके । सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । वर्तमान समय में हजारों महिलाएं इस मिशन के साथ जुड़कर अपने दैनिक घरेलू कार्यो का निर्वहन करते हुए घर में ही स्वरोजगार अपना कर बेहतर आय अर्जित कर रही है ।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की सफलता के उदाहरण हमें सूक्का रियूर व पाली गांवों में देखने को मिले । इन गांवों की महिलाएं गृह कार्यो, खेतीबाड़ी तथा पशुओं की देखभाल में ही अपना पूरा समय व्यतीत करती थी तथा इनकी अपनी आय का कोई भी साधन नहीं था । ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की जानकारी मिलने के उपरांत इन महिलाओं ने इस अभियान से जुड़ने का निर्णय किया ।
सूक्का रियूर गांव की 10 महिलाओं ने वर्ष 2013 में सिद्ध ओम स्वयं सहायता सूहम का गठन किया तथा धीरे-धीरे अपना कार्य आरंभ किया । समूह की महिलाओं द्वारा शाॅल, स्वेटर, तकिए कवर, बैग तथा सजावटी सामान बनाना आरंभ किये । गुणवता को देखते हुए इनके उत्पाद अच्छे दामों पर बिकना आरंभ हो गये । मिशन के तहत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में सिद्ध ओम स्वयं सहायता समूह को 50 हजार रूपये की राशि सस्ती ब्याज दर पर उपलब्ध करवाई गयी जो कि उन्होनें तय समय के भीतर लौटा दी । चालू वित्त वर्ष में भी समूह को एक लाख रूपये की राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई गयी है ताकि यह महिलाएं बड़े स्तर पर कार्य कर सकंे ।
सिद्ध ओम स्वयं सहायता समूह की प्रधान राज कुमारी ने बताया कि समूह की सभी महिलाएं गृह कार्य पूर्ण करते हुए अपने उत्पाद निर्मित करती हैं । समूह द्वारा नियमित बैठकों का आयोजन भी किया जाता है, जिससे एक पारिवारिक माहौल बन गया है । उन्होंने बताया कि समूह की प्रत्येक महिला इससे लगभग 3 हजार रूपये प्रतिमाह की आय अर्जित कर रही हंै । उन्होंने बताया कि समूह की महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को स्वयं की आय से पूरा कर रही हैं तथा आर्थिक रूप से सुरक्षित अनुभव कर रही हंै ।
इसी प्रकार ग्राम पंचायत सवाहण के तहत गांव पाली की महिलाओं ने भी वर्ष 2016 में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत भाग्य लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह का गठन किया तथा स्वरोजगार अपनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का निर्णय लिया । इन महिलाओं ने कुल्लू शाॅल, शो पीस, फ्राॅक, जुराबें, स्टाल तथ बैग बनाने का कार्य आरंभ किया । वर्तमान में इनके उत्पादों की काफी मांग है । समूह की सदस्या श्रीमती सुमित्रा देवी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सरकार द्वारा आरंभ की गयी एक बेहतरीन योजना है, जिससे महिलाओं को घर में रहते हुए रोजगार प्राप्त हो रहा है । उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में समूह की प्रत्येक महिला 1500 से दो हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित कर रही हैं ।
उपायुक्त श्री ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि मण्डी जिला में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। मिशन से जुड़ने की इच्छुक महिलाएं अपने क्षेत्र के खंड विकास अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क कर योजना का लाभ प्राप्त कर सकती हैं ।
