पाकिस्तान में आज आम चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगेा। यूं तो इन चुनावों में दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादी हाफिज सईद के दल सहित कुल 30 से ज्यादा पार्टियां सक्रिय हैं लेकिन मुख्य मुकाबला पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच है. पाकिस्तान के ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव लगभग फिक्स है. पाकिस्तान में बुधवार यानि 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव के लिए दो महीने से चल रहे प्रचार का दौर सोमवार आधी रात को समाप्त हो गया. आखिरी समय तक विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और नेता जनसभाओं, नुक्कड़ सभाओं और घर-घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की आखिरी कोशिशों में लगे रहे. हालांकि पाकिस्तान में आम चुनाव को लेकर मतदाताओं में बहुत अधिक उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है और सुरक्षा की स्थिति भी तनावपूर्ण बनी हुई है. इस बार पाकिस्तान के चुनाव में मुख्य लड़ाई पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच है. वहीं बिलावल भुट्टो जरदारी की अगुवाई वाली द पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी रेस में है. पाकिस्तान में कुल 110 राजनीतिक पार्टियां हैं. जिसमें से 30 सक्रिय हैं और अधिकतर चुनाव में अपना भाग्य आजमा रही हैं. ऐसे में मतदाता के सामने मुश्किल चुनौती है. चुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मतदान के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. आम चुनाव में आतंकियों का भी साया है. इस बार आतंकियों के आत्मघाती हमलों से चुनाव अभियान काफी प्रभावित हुआ है. पिछले दो सप्ताह में हुए हमलों में तीन उम्मीदवारों की जान जा चुकी है. जानकार सुरक्षा को अहम चिंता बता रहे हैं।
चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो, पाकिस्तान के चुनाव में इस बार 10 करोड़ से ज्यादा मतदाता हिस्सा लेंगे इसके लिए देश में 85,000 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं। चुनाव में 12,500 से अधिक उम्मीदवार संसद और चार प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनावी मैदान में हैं. नेशनल असेंबली के लिए 3,675 और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 8,895 उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. पाकिस्तान में नेशनल असेंबली की कुल 342 सीटों हैं, जिसमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होंगे, जबकि 70 सीटें आरक्षित हैं. इस बार के चुनावों में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा है. तकरीबन हर राजनीतिक दल इससे जुड़े हुए मुद्दे उठा रहे हैं. इस बार चुनाव में कई आतंकी, कट्टरपंथी इस्लामी और धार्मिक संगठन भी काफी सक्रिय हैं. इसमें वह उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं, जिनकी राजनीतिक पार्टी कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है. इसमें सबसे आगे 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के साजिशकर्ता हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग है, उसके बाद तहरीक ए लब्बैएक पाकिस्तान, अहल-ए-सुन्नत वाल जमात, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल पार्टियां शामिल हैं. पाकिस्तान के कई राजनीतिक नेताओं ने और सामाजिक संगठनों ने ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर चिंता भी व्यक्त की हैा।ऐसे में पाकिस्तान का चुनाव न सिर्फ पाकिस्तान के लिए बल्कि ये भारत की शांति और दुनिया से आतंकवाद के खात्मे के लिए भी काफी महत्वपूर्ण रहने वाला हैा।
