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आखिर क्यों हिंदी सिनेमा में नेशनल अवॉर्ड की है महत्ता, जानिए

मुंबई: बॉलीवुड इंडस्ट्री में साल की हजारों फिल्में बनती है, जिसमें से कई फलॉप साबित होती है तो कई हिट। लेकिन कई फिल्में एेसी होती है जो सबसे अलग और काबिल-ए-तारिफ होती है। इन हजारों फिल्मों में से एक-दो ही अवॉर्डस के लिए चुनी जाती है।वहीं इनमें से कुछ को नेशनल फिल्म अवॉर्ड के लिए भी चुना जाता है। ये अवॉर्ड फिल्म, बेस्ट एक्ट्रैस, बेस्ट एक्टर, बेस्ट निर्देशक, बेस्ट सर्पोटिंग एक्ट्रेस, बेस्ट म्यूजिक डाइरेक्टर, बेस्ट एक्शन, बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर, बेस्ट कोरियोग्राफी और बेस्ट सिंगर को मिलता है। सभी विजेताओं को राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मान दिया जाता है।इसी साल हुए 65वें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार में बेस्‍ट एक्‍ट्रैस का अवॉर्ड दिवंगत एक्‍ट्रैस श्रीदेवी को दिया गया था। जबकि इस साल का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिवंगत एक्‍टर विनोद खन्ना को दिया गया था। श्रीदेवी को उनकी 300वीं फिल्‍म ‘मॉम’ के लिए यह पुरस्‍कार मिला था। इस साल की सर्वश्रेष्‍ठ फिल्‍म के तौर पर असमिया फिल्‍म ‘विलेज रॉक स्‍टार’ को मिला था। वहीं बेस्‍ट पॉपुलर फिल्‍म के पुरस्‍कार के तौर पर बाहुबली 2 (तेलगु) को चुना गया था। ऐसे में सर्वश्रेष्‍ठ हिंदी फिल्‍म का पुरस्‍कार ‘न्‍यूटन’ को गया था। इस साल बेस्‍ट एक्‍शन डायरेक्शन और बेस्‍ट स्‍पेशल इफेक्‍ट्स दोनों पुरस्‍कार फिल्‍म ‘बाहुबली 2’ को दिया गया था। मराठी फिल्‍म ‘धप्‍पा’ को नर्गिस दत्त पुरस्‍कार दिया गया था।

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