पंजाब

राज्य में फ़सलीय विभिन्नता को किसानों द्वारा भरपूर समर्थन, मुख्यमंत्री द्वारा कृषि विभाग के प्रयासों की सराहना

खरीफ-2019 के दौरान 7.50 लाख एकड़ क्षेत्रफल धान तहत निकल कर वैकल्पिक फसलों के तहत आया
चंडीगढ़ – पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा राज्य में फ़सलीय विभिन्नता को उत्साहित करने के लिए दिए आदेश के परिणामस्वरूप धान की फ़सल अधीन क्षेत्रफल बड़े स्तर पर घटा और खरीफ की फ़सल-2019 के दौरान लगभग 7 लाख 50 हज़ार एकड़ क्षेत्रफल धान तहत निकल कर वैकल्पिक फसलों के तहत आ गया।जि़क्रयोग्य है कि खरीफ की फ़सल-2018 के दौरान ग़ैर-बासमती धान के तहत 64.80 लाख एकड़ क्षेत्रफल था जोकि इस बार कम होकर 57.27 लाख एकड़ रह गया।कृषि विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुये मुख्यमंत्री, जिनके पास कृषि विभाग भी है, ने कहा कि यह उद्यम पानी के संरक्षण के लिए सहायक होंगे क्योंकि धान की फ़सल, पानी का ज्य़ादा उपभोग करने वाली फ़सल है।मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में पानी के सतंलुन को बहाल करने के लिए सरकार द्वारा अगले साल 7 लाख एकड़ और क्षेत्रफल धान तहत निकाल कर कपास, मक्का, बासमती और फल और सब्जियों की काश्त तहत लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग ने इस साल भी 7 लाख 50 हज़ार एकड़ क्षेत्रफल को धान तहत निकाल कर वैकल्पिक फसलों के तहत लाया है। इस साल कपास अधीन 3 लाख एकड़, मक्का अधीन 1.27 लाख एकड़, बासमती अधीन 2.95 लाख एकड़ और फलों और सब्जियों अधीन 17500 एकड़ क्षेत्रफल बढ़ाया गया।कृषि विभाग द्वारा साल 2019 के दौरान उठाये गए कदमों का जि़क्र करते हुये अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विसवाजीत खन्ना ने बताया कि फ़सलीय विभिन्नता के अलावा विभाग ने खरीफ की फ़सल -2019 में व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई गई जिसके अंतर्गत किसानों को कृषि रासायन घटाने ख़ासकर 9 कृषि रासायनों का बासमती के दानों की गुणवत्ता पर पड़ते दुष्प्रभावों संबंधी प्रेरित किया गया। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के उत्शाहजनक नतीजे निकले क्योंकि बासमती की फ़सल पर रासायनों के छिडक़ाव का स्तर घटा। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य के किसान ने बासमती की उच्च मानक फ़सल का उत्पादन किया और ईरान जो पंजाब की बासमती की मुख्य मंडी है, को निर्यात करने पर लगी प्रतिबंधों के मद्देनजऱ कमज़ोर अंतरराष्ट्रीय रुझान के बावजूद किसानों को फ़सल का लाभदायकमूल्य मिला।कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि खादों के उचित प्रयोग को यकीनी बनाने के लिए भूमि के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद किसानों को 24.30 लाख भूमि सेहत कार्ड जारी किये जा चुके हैं और किसानों को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की सिफारशों के आधार पर ज़रूरत के मुताबिक खादों का प्रयोग करने की अपील की गई।युरिया और डी.ए.पी. के उपयोग में बड़ी कमी आने का जि़क्र करते हुये श्री पन्नू ने बताया कि साल 2018 में युरिया का 14.57 लाख टन उपयोग हुआ था जो साल 2019 में कम होकर 13.75 लाख टन रह गया जिससे किसानों को 49.20 करोड़ का लाभ पहुँचा। इसी तरह डी.ए.पी. के उपयोग में भी 33000 टन की कमी दर्ज की गई जो साल 2019 में 1.42 लाख टन रह गई जबकि साल 2018 में 1.75 लाख टन का उपयोग हुआ था जिससे मौजूदा सीजन के दौरान किसानों को 82.50 करोड़ रुपए का फ़ायदा हुआ है।खरीफ की फ़सल-2019 के दौरान कीटनाशकों के उपयोग संबंधी विवरण देते हुये कृषि सचिव ने बताया कि नकली बीजों और कृषि रासायनों की बिक्री रोकने के लिए पूरी मुस्तैदी इस्तेमाल की गई जिसके परिणामस्वरूप फसलों के उत्पादन में पिछले सभी रिकार्ड टूट गए। श्री पन्नू ने आगे बताया कि मौजूदा खरीफ की फ़सल सीजन के दौरान कीटनाशकों के प्रयोग में 675 एम.टी. (टैकनिकल ग्रेड) की कमी दर्ज की गई जिससे किसानों को 355 करोड़ रुपए का लाभ हुआ जबकि खरीफ की फ़सल-2018 के दौरान 2000 करोड़ रुपए की लागत से 3838 एम.टी. कीटनाशकों का प्रयोग किया गया था।

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