पनडुबियों की शुरुआत, कार्यप्रणाली और सामथ्र्य पर हुई गोष्ठी
चंडीगढ़ – मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे और आखिरी दिन ‘रन साइलेंट, रन डीप एंड स्ट्राईक हार्ड’ विषय पर करवाए गोष्ठी के दौरान जल सेना के सेवा मुक्त अधिकारियों और माहिरों ने हाजऱीन, खासकर विद्यार्थियों को पनडुबियों सम्बन्धी अलग-अलग पक्षों संबंधी जानकारी दी। इस मौके पर एडमिरल सुनील लंबा ने संचालक की भूमिका निभाई।गोष्ठी के दौरान मुख्य तौर पर पनडुब्बियों सम्बन्धी आधुनिक तकनीक, पनडुब्बियों के अलग-अलग मॉडल, उनका प्रयोग, लाभ और पनडुब्बियों बनाऐ जाने सम्बन्धी विचार-विमर्श किया गया। पैनलिस्टस ने अलग-अलग पनडुब्बियों के सामथ्र्य, अलग-अलग देशों के साथ नीतिगत हिस्सेदारी, सौदे और पनडुब्बियों खरीदने सम्बन्धी कम्पीटिटिव बीडिंग सिस्टम संबंधी भी बातचीत की।इस मौके पर कोमोडोर अनिल जैन ने 15 मिनट की डिजिवल पेशकारी से अलग-अलग पनडुब्बियों के आकार, बनावट और पनडुब्बियों के हथियारों संबंधी जानकारी दी। उन्होंने पनडुब्बियों के ऐतिहासिक पक्ष पर पर रौशनी डालते हुये भारतीय जल सेना में पनडुब्बियां शामिल किये जाएँ संबंधी जानकारी देने के साथ साथ ख़ुफिय़ा ऑपरेशनों सम्बन्धी पनडुब्बियों की भूमिका पर रौशनी डाली। उन्होंने पानियों में 24 घंटे नजऱ रखने सम्बन्धी तकनीक की भूमिका संबंधी भी विचार सांझे किये। उन्होंने अलग-अलग पनडुब्बियों की रेंज, रफ़्तार और सामथ्र्य संबंधी जानकारी देते हुये इस क्षेत्र में पेश मुश्किलों के हल सम्बन्धी भी अपने विचार रखे।वाइस एडमिरल ए.के. सिंह ने परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियों सम्बन्धी मूल सिद्धांतों संबंधी जानकारी दी। उन्होंने पनडुब्बियों सम्बन्धी जटिल ज़रूरतों और इनसे सम्बन्धित अलग-अलग तकनीकी पक्षों संबंधी भी बातचीत की। उन्होंने इस मौके पर भारत के पड़ोसी देशों के पास मौजूद पनडुब्बियों संबंधी भी जानकारी सांझी की।इस गोष्ठी के दौरान प्रोफ़ैसर भारत कर्नाड ने भारत की तरफ से पनडुब्बियों समेत अलग-अलग किस्म की रक्षा सामग्री तैयार किये जाने और पनडुब्बियों सम्बन्धी व्यापारिक सौदों संबंधी भारत के पक्षों संबंधी रौशनी डालते हुये कहा कि भारत को इस क्षेत्र में अन्य देशों पर निर्भरता घटा कर ख़ुुदमुखित्यार होना चाहिए।