बाजवा के मामले से अनजान होने या जानबुझ कर की शरारत बताया
चंडीगढ़ – पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बरगाड़ी बेअदबी केस सी.बी.आई. से वापिस लेने के नाजुक और संवेदनशील मामले पर कांग्रेसी सांसद प्रताप सिंह बाजवा द्वारा एडोवेकट जनरल (ए.जी.) कार्यालय पर राज्य सरकार और विधानसभा के सदन को गुमराह करने के लगाऐ दोषों को सिरे से रद्द कर दिया है।शुक्रवार को यहां जारी बयान में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बाजवा द्वारा मीडिया के एक हिस्से में दिए बयान को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि वह या तो इस मामले से अनजान है या फिर जानबुझ कर शरारत की गई है और उन्होंने इसको पूरी तरह आधारहीन बताया।सी.बी.आई. केस वापस लेने के मामले संबंधी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह फ़ैसला विधानसभा के सदन द्वारा लिया गया था जो मेरिट के आधार पर और एडवोकेट जनरल कार्यालय की सिफारशों के अनुसार था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वार पंजाब के हितों को ध्यान में रखते हुये केंद्रीय एजेंसी से केस वापस लेने सम्बन्धी सदन में प्रस्ताव लाने से पहले ए.जी. कार्यालय की सलाह माँगी गई थी। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्धी ए.जी. की सिफारशें या रिपोर्ट को सदन में पेश नहीं किया गया था बल्कि इस सम्बन्धी मेरिट के आधार पर सहमति के साथ स्वतंत्र फ़ैसला लिया गया था। उन्होंने कहा कि बाजवा को इसका कोई ज्ञान या जानकारी नहीं कि ए.जी. ने क्या सिफ़ारिश की थी। एम.पी. द्वारा लगाऐ गए दोष सरासर बेबुनियाद और तथ्यों के बिना हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सांसद ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फ़ैसले को जाँच की ज़रूरत नहीं समझी जबकि सी.बी.आई. से केस वापस लेने संबंधी राज्य सरकार के फ़ैसले की कानून हैसियत को अदालत ने भी कायम रखा। हाईकोर्ट ने 25 जनवरी, 2018 को दिए फ़ैसले में साफ़ तौर पर सी.बी.आई से जांच वापस लेने में राज्य सरकार की कार्यवाही की कानूनी हैसियत को कायम रखा था और यहाँ तक कि एस.आई.टी. में भरोसा ज़ाहिर किया था। मुख्यमंत्री ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया कि सी.बी.आई. ने इस फ़ैसले को चुनौती नही दी। इस कारण इस कार्यवाही की कानूनी हैसियत के सम्बन्ध में अब कोई सवाल पैदा नहीं होता। मुख्यमंत्री ने बाजवा की तरफ से लोगों को गुमराह करने के इरादों के साथ बयानों के द्वारा गलतफहमियां पैदा करने की की गई कोशिशों की सख्त आलोचना की।अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा,‘‘तत्काल केस में राज्य पुलिस द्वारा एफ.आई.आरज़’ पहले ही दजऱ् की जा चुकी हैं और साल 2015 में जारी किये गये नोटिफिकेशन सी.बी.आई से स्पष्ट रूप में बयान की गई एफ.आई.आरज़’ के अलावा केस दर्ज करने की आम शक्तियां नहीं हैं। इस कारण नोटिफिकेशन के अमल को वापस लेने की सहमति का सवाल नहीं उठता। दोरजी मामले में जारी हुए नोटीफिकेशनों के संदर्भ में स्पष्ट विभिन्नताएं देखी जा सकती हैं। तत्काल केस में इससे भाव पंजाब की सहमति विशेष एफ.आई.आरज़’ के सम्बन्ध में थी और वास्तव में जांच एक एजेंसी से दूसरी जांच एजेंसी को तबदील करने तक थी। मौजूदा समय कोई ऐसा केस नहीं है कि अदालत को ऐसी स्थिति की आलोचना करने के लिए कहा गया है जहाँ राज्य ने सी.बी.आई. को अपराधों की एक श्रेणी के मामले में अपने आप केस दर्ज करने के लिए सहमति दी। दूसरी तरफ़, वापस लिया नोटिफिकेशन विधानसभा द्वारा पास किये गये प्रस्ताव के अनुसार था जो यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि सी.बी.आई. को दिए मामलों की जांच वापस लेने की ज़रूरत है। इसके अलावा सुनवाई के दौरान, इस अदालत ने सी.बी.आई. की केस डायरी माँगी और इसको ध्यान से पढ़ा। यह स्पष्ट है कि इन मामलों की जांच शायद ही आगे बढ़ी हो।’’मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट के फ़ैसले का आगे जि़क्र करते हुये कहा कि अदालत ने कहा,‘‘उपरोक्त के मद्देनजऱ इस अदालत को विधानसभा के प्रस्ताव के अनुसार एक्ट की धारा 6 के तहत सहमति वापस लेने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किये गये फ़ैसले में कोई त्रुटि नजऱ नहीं आती। तत्काल केस में सी.बी.आई. ने इस सहमति को वापस लेने का गंभीरता से विरोध नहीं किया। यहाँ तक कि जांच एजेंसी ने अपने जवाब भी चुपचाप दर्ज करवाया कि मामला जांच अधीन है और उसकी तरफ से जांच वापस लेने के नोटिफिकेशन की प्रामाणिकता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। दूसरे तरफ़ इसने अगामी कार्यवाही के लिए नोटिफिकेशन भारत सरकार को भेज दिए।’’मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत मन्दभागी बात है कि बाजवा ने ठोस तथ्य और कानूनी स्थिति जिसका हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में भी स्पष्ट वर्णन किया है, की जाँच-पड़ताल किये बिना ही इस गंभीर मुद्दा पर अपनी बात कह दी। उन्होंने बाजवा और अन्य राजनैतिक नेताओं को राज्य के हित से जुड़े इस अहम मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने से संयम बरतने के लिए कहा क्योंकि इससे बेचैनी वाला माहौल पैदा हो सकता है।मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बेअदबी मामलों की जांच के लिए कायम की एस.आई.टी. के द्वारा इस मामले को कानूनी निष्कर्ष पर पहुंचाने और दोषियों के लिए सख्त कानूनी सज़ा यकीनी बनाने के लिए ज़ोरदार से आगे ले जाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी शरारत भरी टिप्पणियों से इस मामले में न्याय के हित प्रभावित होंगे। उन्होंने लोगों को ऐसी निराधार बयानबाज़ी से गुमराह न होने का न्योता दिया है।