रेलवे की उत्पादक इकाइयों के कारपोरेटाइजेशन के सरकार के प्रस्ताव का यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने लोकसभा में कड़ा विरोध जताया। सदन में शून्यकाल शुरू होते ही रायबरेली से कांग्रेस सांसद सोनिया ने अपने क्षेत्र की मॉडर्न कोच फैक्टरी के कॉरपोरेटाइजेशन के प्रस्ताव को निजीकरण की दिशा में पहला कदम करार दिया।उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ऐसा प्रस्ताव लाने से पहले फैक्ट्री के कर्मचारियों और मजदूर यूनियनों तक को विश्वास में नहीं लिया।सदन में शून्यकाल शुरू होते ही स्पीकर ने रायबरेली से कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी का नाम पुकारा। जैसे ही सोनिया गांधी बोलने के लिए उठीं, समूचे विपक्ष की तरफ से मेज थपथपायी गईं। सोनिया ने रायबरेली की कोच फैक्ट्री के हवाले से रेलवे की उत्पादन इकाइयों के कॉरपोरेटाइजेशन का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्ति के निजी कंपनियों को सौंपने की शुरुआत कर रही है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यूपीए सरकार ने मेक इन इंडिया की भावना के तहत इसकी शुरुआत की थी। सरकार ने इस पर काफी निवेश किया है। कर्मचारियों की मेहनत की वजह से यह एक अच्छी इकाई बन कर उभरी है। लेकिन अब सरकार के इस कदम से 2000 कर्मचारियों का भविष्य संकट में पड़ गया है। यह चिंता का विषय है।उन्होंने कहा, ‘क्या हमें ऐसे फैसलों की संसदीय जांच की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।’सोनिया ने कहा, ‘मैं सरकार को याद दिलाना चाहती हूं कि उसका काम लोक कल्याण का है, निजी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना नहीं।’ देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे सभी उपक्रमों को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था। यूपीए चेयरपर्सन ने कहा कि अब एचएएल, एमटीएनएल और बीएसएनएल के साथ क्या हो रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। सोनिया गांधी ने एनडीए सरकार की अलग रेल बजट की प्रथा को समाप्त करने की भी आलोचना की।