स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए चलाए जाएंगे विशेष प्रोग्राम
चंडीगढ़ – पंजाब सरकार ने नशाखोरी की समस्या को रोकने की दिशा में एक और बड़ी पहलकदमी की है। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने से लेकर अब तक 178 ओट (आउटडोर ओपियॉइड असिस्टड ट्रीटमैंट क्लीनिक्स) क्लीनिकों में नशाखोरी से पीडि़त 83,920 मरीज़ों को मुफ़्त ईलाज मुहैया करवाया गया है। राज्य के 34 नशा मुक्ति और 19 पुनर्वास केन्द्रों में भी मरीज़ मुफ़्त इन्डोर ट्रीटमेंट ले रहे हैं। इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों, कॉलेजों, एन.जी.ओज़ और समाज कल्याण संस्थाओं की सक्रिय सम्मिलन के साथ राज्य के हरेक जि़ले में नशाखोरी और ग़ैर-कानूनी तस्करी के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का फ़ैसला किया है। इस सम्बन्धी जि़ला तरनतारन में 26 जून को राज्य स्तरीय समागम करवाया जायेगा।यह जानकारी स. बलबीर सिंह सिद्धू, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने यहाँ जारी एक प्रैस बयान में दी। उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों को ओट क्लीनिकों और नशा मुक्ति केन्द्रों में मुफ़्त ईलाज मुहैया करवाया गया है, को स्वास्थ्य माहिरों द्वारा नियमित काउंसलिंग के ज़रिये जि़ंदगी की मुख्य धारा में लाया गया है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को नशाखोरी के कुप्रभावों संबंधी जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी सिविल सर्जनों को अपने सम्बन्धित जि़लों में 26 जून को सभी स्कूलों और कॉलेजों में नशाखोरी और ग़ैर-कानूनी तस्करी के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जि़ला स्वास्थ्य अथॉरिटी को सहयोग देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग को निर्देश पहले ही जारी किये जा चुके हैं।ओट क्लीनिकों के कामकाज संबंधी जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि यह ओ.पी.डी. आधारित क्लीनिक हैं जो हफ़्ते के सभी दिन कार्यशील हैं। विभाग द्वारा आवश्यकता आधारित पहुँच अपनाई गई है जिसके अनुसार गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीज़ों को इन्डोर सहूलतें दी जानी चाहीएं और ज़्यादातर मरीज़ों का ईलाज ओ.पी.डी. में किया जा सकता है। शुरू में मानसिक रोगों के माहिर या मैडीकल अफ़सर (जिसने नशा मुक्ति सम्बन्धी 3 महीने का नियमित प्रशिक्षण लिया हो) द्वारा मरीज़ की जांच की जाती है और उसके बाद ईलाज के अगले पड़ाव का जिम्मा उस मैडीकल अफ़सर को दिया जाता है, जिसने 5 दिन का ओट प्रशिक्षण लिया हो।उन्होंने कहा कि नशा छोडऩे के ईलाज के अलावा पी.एस.ए.सी.एस. और एन.एच.एम. की सहायता से और सेवाएं जैसे एच.आई.वी. टेस्टिंग, टी.बी. ट्रीटमेंट, एस.टी.आई. सेवाएं और पी.एल.एच.आई.वी. ड्रग पर निर्भर व्यक्तियों के लिए ए.आर.टी. सेवाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि मनोरोगी माहिरों और मैडीकल अफसरों द्वारा लगाए गए कैंपों और गाँवों में हमारी व्यापक मुहिम के ज़रिये ओट क्लीनिकों में ईलाज के लिए रोज़मर्रा के 100 नये मरीज़ रजिस्टर किये जा रहे हैं। इसके साथ ही डैपो प्रोग्राम के ज़रिये और ज्य़ादा मरीज़ ओट क्लीनिकों में ईलाज के लिए सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि मनोरोगी माहिरों द्वारा सैंट्रल रजिस्टरी सिस्टम के ज़रिये रजिस्टर्ड मरीज़ों की नियमित जांच की जा रही है।