भारतीय ऑल राउंडर युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसका एलान किया और इस दौरान सिक्सर किंग युवी भावुक हो गए. युवराज सिंह लंबे समय से काफी समय से भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं और अभी मौजूदा वर्ल्ड कप टीम में भी उन्हें नहीं चुना गया.जमकर खेला, जमकर लड़ा और करोड़ों चेहरों पर ना जाने कितनी बार मुस्कान बिखेरने वाले भारतीय क्रिकेट के ‘फाइटर’ ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है.2000 में युवराज सिंह की पहली झलक तब दिखी जब भारत ने श्रीलंका में आयोजित अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप को पहली बार जीता. मोहम्मद कैफ की अगुवाई वाली उस टीम में एक युवा युवी भी थे. युवराज उस टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज बने और देखते-देखते वो चयनकर्ताओं की नजरों में आ गए. उसके बाद उन्होंने मुड़कर पीछे नही देखा. कई मैचों में भारत के खेवनहार और बने युवी. मध्यक्रम में उनकी बदौलत ही भारतीय क्रिकेट टीम को मजबूती मिली. टीम इंडिया को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले युवी संन्यास के दिन भावुक हो गए.युवराज ने 40 टेस्ट और 304 वनडे खेले थे. इसके अलावा उन्होंने 58 टी20 मुकाबले भी खेले थे जिसमें उन्होंने 1177 रन जमाए. उन्होंने 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के पेसर स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के जमाए थे. जबकि 2011 के आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में जब भारत ने विश्व कप जीता, तब उन्होंने ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए 362 रन बनाए, 15 विकेट झटके, जबकि 4 बार मैन ऑफ द मैच से नवाजे गए.युवराज ने 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. कैंसर से जंग जीतने के बाद युवराज सिंह ने क्रिकेट के मैदान पर वापसी की थी, लेकिन कुछ खास प्रदर्शन नहीं करने की वजह से वो टीम से बाहर चल रहे थे. युवराज का संन्यास भारतीय क्रिकेट के एक युग का अंत है.