10 फीसदी तक महंगी हो सकती है प्राकृतिक गैस।
नई
दिल्ली – नैचरल (प्राकृतिक) गैस की कीमतें 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं।
देश में प्रोड्यूस की जाने वाले नैचरल गैस की कीमतों का फैसला सरकार द्वारा
एक सेट फॉर्म्यूला के तहत लिया जाता है। इसके तहत इंटरनैशनल ट्रेडिंग हब
से छह महीने की औसत कीमतें ली जाती हैं और साल में दो बार मार्च व सितंबर
के आखिरी कामकाजी दिनों में इसका ऐलान किया जाता है।
गैस के लिए
प्राइस कैप 21 प्रतिशत तक बढ़ गया है। ऐसा होने से गैस प्रोड्यूस करने वाली
कंपनियों जैसे ONGC और रिलायंस इंडस्ट्रीज को तो फायदा होगा लेकिन घरों और
फैक्ट्रियों में ईधन (पीएनजी) की खपत करने वाले लोगों को झटका लगेगा।
शुक्रवार रात लिए गए इस फैसलो का ऐलान अभी तक नहीं किया गया है। मामले से
जुड़े लोगों का कहना है कि तेल मंत्रालय के अधिकारी इस पर चुनाव आयोग से
एनओडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। गैस की कीमतें पब्लिश करने के लिए
मंत्रालय को ईसी की अनुमति चाहिए।
अप्रैल से सितंबर तक के लिए
घरेलू गैस की कीमतें 3.69 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट
(mmBtu) बढ गई हैं। उन्होंने कहा कि अब डिफीकल्ट फील्ड्स से गैसे के लिए
प्रोड्यूसर अधिकतम जो चार्ज कर सकते हैं उसकी कीमतें 9.32 डॉलर प्रति mmBtu
हो गई हैं, जबकि पहले यह चार्ज 7.67 डॉलर प्रति mmBtu था। यह अमेरिका,
ब्रिटेन, कनाडा और रूस में गैस ट्रेडिंग हब की औसत कीमतों के आधार पर तय
होता है। कीमतों की गणना ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू के आधार पर होती है। सरकार
ने 2014, नवंबर में घरेलू गैस के लिए इस फॉर्म्यूला को शुरू किया था।
लिक्विफाइड नैचरल गैस की कीमतें पिछले कई महीनों से एशिया में कम हो रही हैं और अभी ओवरसप्लाई के चलते इसकी कीमत करीब 6.50 डॉलर प्रति mmBtu है। अभी देश में बहुत कम पीएनजी प्रोड्यूस की जाती है। लेकिन आने वाले सालों में ONGC और रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा ऑपरेट किए जाने वाले ऐसे फील्ड से ज्यादा गैस बनने की उम्मीद है।
