वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को वीडियो ब्लॉग के ज़रिए कहा कि स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्रों के लिए भी माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की तरह ही एक संघीय संस्था बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद का सफल प्रयोग अन्य क्षेत्रों में भी दोहराए जाने की जरूरत है.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्रों के लिए भी माल और सेवाकर परिषद की तरह ही एक संघीय संस्था बनाए जाने पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के संसाधनों के सबसे अच्छे उपयोग के लिये यह जरूरी है कि स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिये जीएसटी परिषद जैसी संघीय संस्थाएं बनाई जाएं. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद का सफल प्रयोग अन्य क्षेत्रों में भी दोहराए जाने की जरूरत है. जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है, जिसका काम माल और सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सिफारिशें देना है.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कृषि, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य ऐसे क्षेत्र हैं, जहां केंद्र सरकार किसानों को मदद पहुंचाने, बुनियादी ढांचा का सृजन और गरीबों के लिये स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण पर काफी पैसा खर्च कर रही है. राज्य सरकारें भी इन क्षेत्रों पर खर्च कर रही हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद के सफल क्रियान्वयन के बाद ग्रामीण विकास, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्रों में संघीय संस्थान का प्रयोग किया जाना चाहिए. इससे आबादी के गरीब तबकों को फायदा होगा.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वे बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के सिद्धांत पर काम करे. आयुष्मान भारत योजना इसी सिद्धांत के तहत लागू की गई थी लेकिन पश्चिम बंगाल, दिल्ली, ओडिशा ने इसे लागू करने से मना कर दिया. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने पीएम किसान योजना में शामिल होने से इंकार कर दिया. जिसके कारण छोटे और सीमांत किसानों को सलाना 6 हजार रुपये के लाभ से वंचित होना पड़ा.
