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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन

गोवा के मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का 63 वर्ष की आयु में पणजी में निधन हो गया. पर्रिकर काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पर्रिकर का जन्म पणजी से करीब 13 किलोमीटर दूर मापुसा में 13 दिसंबर, 1955 को हुआ था. उन्होंने आईआईटी मुंबई से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी.

भारत की राजनीति का टिमटिमाता तारा अब डूब गया है. अपने सरल स्वभाव, बेदाग़ छवि और बेहतर निर्णायक के रूप में जाने जाने वाले महानायक मनोहर पर्रिकर सदा के लिए चिरनिद्रा में लीन हो गए हैं. मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर, 1955 को गोवा के मापुसा गांव में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गोवा के ही लोयोला हाई स्कूल से हुई. 12वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में दाखिला लिया था और यहां से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.

मनोहर पर्रिकर बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में बाल स्वयंसेवक की भूमिका में सक्रिय थे. अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद भी इन्होंने संघ के कई दायित्वों का निर्वहन किया. उन्होंने उत्तरी गोवा के संघचालक का भी दायित्व निभाया था, जिसके बाद उन्हें भाजपा का सदस्य बनने का मौका मिला. पर्रिकर को 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की और गोवा की विधानसभा सभा में विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभाई.

2000 में गोवा में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को गोवा की सत्ता में आने का मौका मिला और पार्टी ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पर्रिकर को चुना. वहीं 2005 में विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने पर्रिकर के नेतृत्व में 2012 में गोवा में फिर जीत हासिल की और वो फिर से मुख्यमंत्री बने. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली और पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई और जब देश के रक्षा मंत्री को चुनने की बारी आई, तो पहली पसंद पर्रिकर बने और उन्होंने देश का रक्षा मंत्री का दायित्व दिया गया.

रक्षा मंत्री के तौर उनका कार्यकाल ऐतिहासिक रहा, उन्होंने सैनिकों की 40 साल पुरानी ‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग को अमलीजामा पहनाया. साथ ही उन्होंने आतंकी हमले में जवानों की शहादत का बदला पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकियों को ढेर करके लिया. वहीं भारतीय सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ म्यांमार सरहद पर एक सफल ऑपरेशन को भी अंजाम दिया और सबसे अहम लंबे वक्त से लटके राफेल लड़ाकू विमान के सौदे को मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में ही हरी झंडी मिली थी.

2017 में गोवा में विधानसभा चुनाव के बाद विधायकों ने अपने राज्य के लिए पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसके चलते वो राज्य के मुख्यमंत्री पद को संभालने गोवा वापस आ गए. मनोहर पर्रिकर पिछले साल से एडवांस्ड स्टेज के पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे, जिसका इलाज करवाने के लिए वह अमेरिका भी गए थे. बीमार होने के बावजूद भी वो सक्रिय रहे और इस साल राज्य का बजट पेश किया जो उनकी कर्मठशीलता को परिलक्षित करता है.

भले ही आज ये जननायक हमारे बीच नहीं रहा लेकिन सादगीपूर्ण जीवनशैली, साफ छवि और कुशल निर्णायक के रूप में वो सदा याद किए जाएंगे.राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने मनोहर पर्रिकर के निधन पर शोक जताया है. अपने ट्वीट संदेश में उन्होंने कहा, “गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बारे में जानकर अत्यंत दुख हुआ, उन्होंने बीमारी का सहजता से मुकाबला किया. उनका सार्वजनिक जीवन ईमानदारी और समर्पण का प्रतीक है. गोवा और भारत के लोगों के लिए दी गई उनकी सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता.”

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी मनोहर पर्रिकर के निधान पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया, “गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के असामयिक निधन से बेहद दुख हुआ. वह देश के सबसे प्यारे और ईमानदार वरिष्ठ राजनेताओं में से एक थे. वह एक गतिशील और समर्पित व्यक्ति थे जिन्होंने जीवन को मूल्यों और सिद्धांतों पर जिया.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोहर पर्रिकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए देश को दिए उनके योगदान को याद किया. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “श्री मनोहर पर्रिकर एक अद्वितीय नेता थे. वे एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक थे. उन्हें सभी पसंद करते थे. राष्ट्र के प्रति उनकी महान सेवा को पीढ़ियों तक याद किया जाएगा. उनके निधन से गहरा दुख हुआ. ऊं शांति.”

“श्री मनोहर पर्रिकर आधुनिक गोवा के निर्माता थे. उनके मिलनसार व्यक्तित्व और सुलभ स्वभाव के लिए धन्यवाद. वह वर्षों तक राज्य के पसंदीदा नेता बने रहे. उनकी लोकहित की नीतियों ने गोवा को प्रगति की उल्लेखनीय ऊंचाइयों पर पहुंचाया.” “श्री मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री के रूप में कार्यकाल के लिए देश सदा आभारी रहेगा. जब वह रक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने ऐसे फैसलों लिए जिसने भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाया, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ाया और पूर्व सैनिकों के जीवन को बेहतर बनाया.”

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