केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि राफेल सौदे पर
उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल दस्तावेज
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं और जिन लोगों ने इन दस्तावेजों की
फोटोकापी बनाने की साजिश की, उन्होंने इसकी चोरी की और इन्हें लीक करके
सुरक्षा को खतरे में डाला है.
रक्षा मंत्रालय के हलफनामें में कहा
गया है कि पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों ने रक्षा मंत्रालय के
संवदेनशील दस्तावेज़ों का अनाधिकृत रूप से इस्तेमाल किया. रक्षा सचिव की ओर
से दायर 8 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने कहा है कि बिना रक्षा मंत्रालय
की अनुमति के रफाल से जुड़े गोपनीय दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी की गई. 28
फरवरी को मामले की आंतरिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
केंद्र सरकार
का कहना है कि याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका के साथ इन दस्तावेज़ों
को संलग्न किया. गोपनीय दस्तावेज़ के 4 पन्नों को याचिका से साथ लगाया गया
है, जबकि सरकार की अनुमति के बिना इन दस्तावेज़ों को कोर्ट में दाखिल नहीं
किया जा सकता था. यह भी आरोप लगाया गया है कि दस्तावेज़ों के चुनिंदा
हिस्से का प्रयोग किया गया, जिससे कोर्ट को गुमराह किया जा सके.
याचिककार्ताओं
ने जिन आंतरिक नोटिंग्स के आधार पर रफाल सौदे पर सवाल उठाए उन नोटिंग्स के
जवाब भी गोपनीय दस्तावेज़ों में दिए गए थे लेकिन उन्हें जानबूझ कर छिपा
लिया गया. सरकार ने यह भी कहा है कि इन दस्तावेज़ों को आरटीआई के ज़रिए भी
हासिल नहीं किया जा सकता. इन दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने से देश की
संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है और अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों पर
भी इसका विपरीत असर पड़ा है.
सरकार ने कहा है कि याचिकाकर्ता यशवंत
सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण संवदेनशील जानकारी लीक करने के दोषी हैं
और उनकी याचिकाओं को रद्द किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट रफाल सौदे के
मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर
गुरुवार को सुनवाई करेगा.
