नई दिल्ली – दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (DHFL) के शेयरों में बुधवार को 20 फीसद से अधिक का भारी उछाल आया। कंपनी ने जानकारी दी है कि स्वतंत्र तरीके से नियुक्त किए गए चार्टर एकाउंटेंट (सीए) की रिपोर्ट में शेल कंपनियों को कथित रूप से फंड डायवर्ट किए जाने के मामले में उसे क्लीन चिट मिली है।कंपनी ने जिस रिपोर्ट को साझा किया है, उसमें दावा किया गया है कि डीएचएफएल ने शेल कंपनियों की मदद से फंड को डायवर्ट नहीं किया है।जनवरी महीने में कोबरापोस्ट के कथित स्टिंग में इस बात का दावा किया गया था कि डीएचएफएल ने सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर उन्हें शेल कंपनियों में भेजा, जिसमें कंपनी के प्रोमोटर्स की हिस्सेदारी थी।स्टिंग के मुताबिक, डीएचएफएल और उसकी सहयोगी कंपनियों ने गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हुए 31,000 करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल निजी संपत्ति बनाने में किया। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने पहले शेल कंपनियों को कर्ज दिए और फिर बाद में उसी रकम को कई संदिग्ध तरीकों से भारत के बाहर जमा किया गया और संपत्तियां खरीदी गईं।खुलासे के मुताबिक, ‘बैंकों ने दीवान हाउसिंग को 37,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है, जिसमें एसबीआई की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एसबीआई ने जहां इस कंपनी को 11,500 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने करीब 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है।’ रिपोर्ट के मुताबिक करीब 31 भारतीय और विदेशी बैंकों और कंपनियों ने डीएचएफएल को 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है।कंपनी ने हालांकि, इस स्टिंग को दुर्भावना से प्रेरित बताया था। ऑडिटर की रिपोर्ट में 26 कंपनियों के साथ 115.22 अरब रुपये के लोन की जांच की गई है और कहा गया है कि ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं, जिससे यह पता चलता हो कि दीवान हाउसिंग फाइनैंस ने शेल कंपनियों की मदद से फंड का डायवर्ट किया हो।स्टिंग के बाद कंपनी के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई थी। पिछले एक साल में कंपनी का शेयर करीब 70 फीसद से अधिक तक टूट चुका है।
