पंजाब

पंजाबी कल्चरल कौंसिल द्वारा हिमाचल में पंजाबी को दूसरी भाषा के तौर पर अनदेखा करने की कड़ी आलोचना

संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देना पंजाबी बोली का अपमान- हरजीत सिंह ग्रेवाल

चंडीगढ़ – पंजाबी कल्चरल कौंसिल ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में बहुतात लोगों की बोली पंजाबी भाषा की जगह संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने की कड़ी आलोचना करते हुये कहा है कि यह कदम पंजाब का हिस्सा रहे हिमाचल प्रदेश में बस रहे पंजाबियों के साथ बहुत बड़ा नाइंसाफ और धोखा है।यहां से जारी एक बयान में पंजाबी कल्चरल कौंसिल के चेयरमैन हरजीत सिंह ग्रेवाल स्टेट ऐवार्डी ने कहा कि दशक पहले प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया था परन्तु मौजूदा सरकार ने इस फ़ैसले को पलटते हुये कम गिनती में बोली जाती एक भाषा को बहुसंख्यक भाषायी गिनती के लोगों पर थोप दिया है जोकि संविधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के पंजाबी प्रेमी शुरू से ही पंजाबी को अपेक्षित रुतबा देने और इसकी प्रफुल्लता की मांग करते आ रहे हैं परन्तु मौजूदा सरकार ने पंजाबी प्रेमियों की माँग को दरकिनार करते हुये पंजाबी विरोधी फ़ैसला लिया है जिसकी समूह पंजाबियों को निंदा करनी चाहिए।उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पुरज़ोर अपील की है कि वह अपने इस ताज़ा फ़ैसले को बदलते हुए पुरातन और बहुसंख्यकों की बोली को बनता रुतबा देकर दूसरी भाषा के तौर पर फिर लागू करवाएं।

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