जाड़ों में हीटर का साथ मिल जाए तो ऐसा महसूस होता है जैसे दुनिया भर की
सारी सुविधाएं मिल गई हों। पर साथ में दो चिंताएं भी रहती हैं। पहली बिजली
खपत की और दूसरी हीटर से होने वाले शारीरिक नुकसान की। शारीरिक नुकसान की
चिंता ज्यादा बड़ी मानी जा सकती है, क्योंकि हीटर शरीर से नमी सोखने का काम
करते हैं, जो आगे चल कर काफी नुकसानदायक हो सकता है। यह शरीर में ऑक्सिजन
भी घटाते हैं।
वेंटफ्री इलेक्ट्रिक हीटर सेहत के लिए उतने
नुकसानदायक नहीं होते हैं। वजह होती है, इनकी चिमनी, जिनसे वेंटिलेशन अच्छा
रहता है। और हीटर से निकलने वाली खतरनाक गैसें जैसे कार्बन मोनो-ऑक्साइड
कमरे से बाहर निकल जाती है। पर ये औरों की तुलना में महंगे होते हैं, इसलिए
ज्यादातर लोग इनको नहीं खरीदते। जबकि अनवेंटेड इलेक्ट्रिक हीटर का चुनाव
ज्यादातर लोग करते हैं, जिनसे बुरे तत्व बाहर नहीं निकल पाते और तमाम तरह
की हानिकारक गैसें कमरे में ही रहकर सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं।
हीटर
जाड़े में राहत पहुंचाने का काम भले ही करते हों, पर ये त्वचा के लिए
नुकसानदायक भी होते हैं। इनके ज्यादा प्रयोग से त्वचा रूखी हो जाती है। ये
स्थिति आगे चल कर झुर्रियां बन जाती हैं और हमें अंदाजा भी नहीं मिलता कि
इसका कारण हीटर हो सकता है। हीटर की हवा त्वचा की क्वालिटी खराब करके
र्सोंलग टिशूज को खराब कर देती है। ये टिशूज त्वचा के अंदर होते हैं और
जिनके खराब होने से पिगमेंटेशन की दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
चूंकि
हीटर से कमरे की नमी खत्म होती है, इसलिए जरूरी है कि नमी बनाए रखने के
इंतजाम कर लिए जाएं। इसके लिए पहले तो कमरे को पूरी तरह से ब्लॉक न करें।
उसमें से हवा निकलने की जगह हमेशा बनी रहनी चाहिए। इससे कमरे में ऑक्सिजन
की कमी नहीं होने पाती। इसके अलावा कमरे में पानी से भरा एक कटोरा भी रखा
जा सकता है। इससे भी कमरे की नमी कम नहीं होती।
रूम हीटर हमारे शरीर से सर्दी को तो दूर रखते हैं, पर इस काम को करने के लिए वातवरण से नमी भी सोख लेते हैं। इससे आंखों पर असर होता है। आंखों में खुजली तो होती ही है, कई बार ये लाल हो जाती हैं। समय पर ध्यान न दिया जाये तो इनमें संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
