ईसाई महिला आसिया बीवी को ईशनिंदा के आरोप से बरी किए जाने के
खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करते हुए पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट
ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
इस्लामाबाद–ईशनिंदा
की आरोपी ईसाई महिला को बरी किए जाने के खिलाफ दायर पुनर्विचार अपील को
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने मंगलवार को खारिज कर दिया। पाकिस्तान के
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में आसिया बीबी की दोषसिद्धि पलट दी
थी। इसके बाद देश में व्यापक प्रदर्शन किए गए और कट्टरपंथी संगठनों ने जान
से मारने की धमकी भी दी।
चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा के नेतृत्व में 3
सदस्यीय बेंच ने शिकायतकर्ता कारी मोहम्मद सलाम की ओर से दायर पुनर्विचार
याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान सलाम के वकील ने कहा कि आसिया को रिहा
करने का मुद्दा मुस्लिम उलेमाओं और धार्मिक विद्वानों की चिंता का विषय है
और उन्हें यहां अपने विचार प्रकट करने के लिए बुलाया जाना चाहिए।चीफ
जस्टिस ने पूछा, ‘यह कैसे धर्म का मामला है? क्या यह फैसला गुण-दोष के आधार
पर नहीं दिया गया है?’ उन्होंने कहा, ‘फैसला साक्ष्य और गवाही के आधार पर
दिया गया है। क्या इस्लाम यह कहता है कि दोषी नहीं पाए जाने के बाद भी सजा
दी जाए?’ प्रधान न्यायाधीश खोसा ने कहा, ‘साबित करें कि इस फैसले के साथ
गलत क्या है?’
उन्होंने यह कहते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी
कि याचिकाकर्ता 47 वर्षीय महिला को बरी करने के शीर्ष न्यायालय के फैसले
में किसी भी तरह की गलती को बताने में असमर्थ हैं। इस्लामाबाद में सुरक्षा
व्यवस्था कड़ी है। शीर्ष अदालत यहीं स्थित है। आसिया के वकील ‘सुरक्षा
कारणों’ के चलते पिछले साल नीदरलैंड्स चले गए थे। हालांकि सुनवाई से पहले
वह शनिवार को देश लौट आए।फिलहाल सुरक्षा कारणों से हिरासत में रखी गईं 47
वर्षीय बीबी को अपने पड़ोसियों के साथ विवाद में इस्लाम का अपमान करने के
आरोप में 2010 में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई गई थी।
