देश की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिकल्पनाओं और वास्तविकताओं को
फिल्में एक ज़रिया बनकर लोगों तक पहुंच रही हैं. भारतीय सिनेमा के लंबे
इतिहास, विकास और तकनीक को समेटे है दक्षिण मुंबई में बना फिल्म संग्रहालय.
फिल्मों के इसी राष्ट्रीय संग्रहालय को आधुनिक रंग देते हुए जीर्णोद्धार
करने का प्रयास किया गया है. सिनेमा के शानदार इतिहास को लोगों तक पहुंचाने
वाले इस संग्रहालय का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को उद्घाटन
करेंगे.
दक्षिण मुंबई के पैडर रोड पर है फिल्म प्रभाग परिसर में बना
भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय. 8100 वर्ग मीटर में बनकर तैयार हुए
इस संग्रहालय को आधुनिक रूप दिया गया है. तकरीबन 140 करोड़ की लागत से बने
इस संग्रहालय का प्रधानमंत्री शनिवार को उद्घाटन करेंगे. इमारत के
प्रदर्शनी भवन का 1869 वर्गमीटर का क्षेत्र जानकारियों से भरा हुआ है. यहां
सिनेमा की 40 से अधिक इंटरैक्टिव गैलरीज से जानकारी ले सकते हैं. यहां
भारतीय सिनेमा के मौन युग से टॉकीज तक की प्रौद्योगिकी का समावेश है. अलग
अनुभाग में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित कक्ष ‘Imaging Gandhi,
Imagining Mahatma’ में दर्शक महात्मा गांधी के जीवन और सिनेमा से जुड़ी
जानकारियां पा सकते हैं. बच्चों के मनोरंजन का किड्स स्टूडियो के साथ-साथ
अलग-अलग कैमरा, संपादन मशीन, लेंस तथा अन्य दुर्लभ संयंत्र उपलब्ध हैं जो
सिनेमाई इतिहास के शुरुआती दौर में उपयोग में लाए जाते थे. यहां दर्शकों को
कई पुराने उपकरणों को देखने का मौका मिलेगा, कुछ ऐसे जो 70-80 साल पुराने
हैं.
इसके अलावा नई इमारत में आधुनिक तकनीक से लैस दो ऑडिटोरियम तथा
उनके प्रोजेक्शन रूम हैं. यहां आने वाले दर्शकों को पार्किंग की व्यवस्था
भी उपलब्ध करवाई गई है, जो दो स्तरीय है. यहां 144 वाहनों के पार्किंग की
व्यवस्था है. भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय न केवल आम लोगों को
सूचनाओं का भंडार प्रदान करेगा, बल्कि यह फिल्म निर्माताओं, फिल्म छात्रों
और आलोचकों को सिनेमा के विकास को जानने और मूल्यांकन करने में भी मददगार
होगा.
