नई दिल्ली। ब्रक्जिट डील पर हार के बाद अब ब्रिटेन की थेरेसा मे की
प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने का खतरा मंडरा रहा है। डील पर मिली ऐतिहासिक
हार के बाद विपक्षी लेबर पार्टी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास मत का प्रस्ताव
दिया है, इस पर बुधवार को बहस होगी। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन
ने कहा कि संसद ने जिस तरह से प्रधानमंत्री के ब्रक्जिट डील को खारिज किया
है उससे साफ है कि सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है। हालांकि इस
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी सांसदों में एकराय नहीं है।
विरोधाभास
जारी:-कई सांसदों और थेरेसा मे को समर्थन देने वाले दलों ने साफ कर दिया है
कि उन्होंने केवल ब्रेक्जिट पर उनकी डील का विरोध किया है पीएम का नहीं।
लेकिन इसके बाद भी आज अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस से काफी कुछ तय
हो जाएगा। यही वजह है कि इसको काफी अहम माना जा रहा है। यदि बहस के बाद
थेरेसा विश्वास मत हासिल कर लेती हैं तो वह सोमवार को एक दूसरे मसौदे को
संसद में पेश करेंगी। लेकिन यदि वह विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहीं
तो उन्हें या किसी अन्य को 14 दिनों के अंदर सदन का विश्वास मत हासिल करने
का मौका मिलेगा। यदि इन 14 दिनों के दौरान कोई सरकार विश्वासमत हासिल
नहीं कर पाई तो देश में दोबारा आम चुनाव कराने की घोषणा की जाएगी।
डील
पर ये रहा संसद में खेल:-आपको बता दें कि ब्रेक्जिट पर थेरेसा की डील का
केवल 202 सांसदों ने समर्थन किया जबकि 432 सांसदों ने इसको खारिज कर दिया।
यहां तक कि खुद थेरेसा मे की कंजर्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने भी इस
डील के खिलाफ वोट दिया। वहीं कुछ विपक्षी पार्टी के सांसदों ने इस डील का
समर्थन भी किया। इसके बाद भी किसी मसौदे पर ये किसी भी मौजूदा सरकार के लिए
सबसे बड़ी हार है। आपको बता दें कि यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए
ब्रिटेन के पास 29 मार्च, 2019 तक का समय है।
सांसदों को
समस्या:-दरअसल, ब्रेक्जिट समझौते का विरोध कर रहे सांसदों को सबसे ज्यादा
आपत्ति उत्तरी आयरलैंड की सीमा को खोले रखने को लेकर है। समझौते के मुताबिक
आखिरी सहमति बनने तक उत्तरी आयरलैंड की सीमा खुली रखी जाएगी। वहां यूरोपीय
यूनियन का चेकपोस्ट होगा। ब्रिटिश सांसदों का कहना है कि इस शर्त के चलते
ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन का उपनिवेश बनकर रह जाएगा।
थेरेसा के पास
विकल्प:-डील पर हार के बाद अब थेरेसा मे के पास अब कुछ ही विकल्प बच गए
हैं। इन विकल्पों में एक है कि वह संसद में दोबारा ये योजना पेश कर सकती
हैं और संसद की मंजूरी हासिल कर सकती हैं। वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर वह
दोबारा यूरोपीय संघ से इस बाबत बात कर सकती हैं और एक नए समझौते को संसद
में पेश कर सकती हैं। तीसरा विकल्प ब्रेक्जिट पर दोबारा जनमत संग्रह कराने
का भी है।
कई मंत्री दे चुके हैं इस्तीफा;-इस मुद्दे पर लगातार थेरेसा
मे को उनकी ही सरकार के मंत्री कटघरे में खड़ा करते आए हैं। मे के करीब छह
मंत्री इस मुद्दे पर इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में थेरेसा
मे की सरकार से विज्ञान मंत्री सैम गिमाह ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने
यह कहते हुए इस्तीफा दिया है कि ब्रेक्जिट देशहित में नहीं है। इस मुद्दे
पर थेरेसा को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। उत्तरी आयरिश
पार्टी समेत अपनी ही पार्टी (कंज़र्वेटिव पार्टी) के लोग भी उनके विरोध में
उतर आए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले ईयू ड्राफ्ट के खिलाफ ब्रेक्जिट
सेक्रेट्री डोमेनिक राब, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर वर्क एंड पेंशन ईस्थर
मेकवे समेत दो और जूनियर मिनिस्टर अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इनसे
पहले दो और मंत्री भी इसी मुद्दे पर इस्तीफा दे चुके हैं
