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एफडी से क्यों बेहतर है म्युचुअल फंड में निवेश, जानिए

नई दिल्ली। फिक्स डिपॉजिट को आम तौर पर लोग सुरक्षित निवेश विकल्प मानते हैं। अपने बचत के पैसे से नियमित आय की व्यवस्था करने के लिए बहुत से लोग एफडी में पैसा डालते हैं। वेतनभोगी हो या कारोबारी, ज्यादातर अपनी बचत का एक हिस्सा एफडी में निवेश करना चाहते हैं। हालांकि, इसके अलावा एक विकल्प और है लोगों के पास और वह है म्युचुअल फंड। इक्विटी म्युचुअल फंड में अच्छा रिटर्न मिलता है। टैक्स को लेकर भी इसमें कई फायदे हैं। म्युचुअल फंड का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो इसका रिटर्न एफडी से ज्यादा होगा। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि म्युचुअल फंड एफडी से क्यों बेहतर है।
लंबी अवधि के बाद भी कम रिटर्न: एफडी में निवेश पर आपको 7 फीसद की दर से ब्याज मिलता है, जबकि म्युचुअल फंड में कम से कम 15 फीसद का रिटर्न मिल जाता है। अगर निवेशक ने एफडी में पैसा लगाया है तो कम रिटर्न महंगाई बढ़ने पर कारगर साबित नहीं होगा। उदहारण के तौर पर एफडी से 6 से 8 फीसद रिटर्न मिलता है, अगर मुद्रास्फीति 7 फीसद तक बढ़ गई तो निवेशक की पूंजी घट गई। हालांकि म्युचुअल फंड में भी निवेश के खतरे हैं, इसमें बी हमेशा जोखिम बना रहता है लेकिन यह फिर भी एफडी से बेहतर है।
महंगाई: इक्विटी और डेट फंड दोनों ही महंगाई के हिसाब से ठीक हैं। जबकि इक्विटी फंड्स ने लंबे समय में बेहतर रिटर्न के माध्यम से महंगाई को मात दी है।जबकि डेट फंड्स को कर योग्य रिटर्न पर महंगाई के प्रभावों को कम करने के लिए इंडेक्शन से मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, अगर एफडी पर ब्याज दर 8 फीसद है और मुद्रास्फीति की दर 6 फीसद है, तो प्रभावी रिटर्न या रिटर्न की वास्तविक दर केवल 1.89 फीसद होगी, लेकिन टैक्स पूरे 8 फीसद पर काटा जाएगा।
समय से पहले निकासी पर नुकसान: अगर एफडी में समय से पहले निकासी हुई तो इससे ब्याज का नुकसान होता है। लेकिन ओपन-एंडेड म्युचुअल फंड के मामले में मच्योरिटी की कोई तारीख नहीं होती और इसे कभी भी भुनाया जा सकता है। इक्विटी म्युचुअल फंड की तुलना में डेट म्युचुअल फंड लिक्विडिटी के लिए ज्यादा सही रहते हैं, क्योंकि वे अल्पकालिक निवेश के लिए होते हैं और अधिक स्थिर होते हैं।

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