मिजोरम में जोरामथांगा को सर्वसम्मति से एमएनएफ विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. मिजो नेशनल फ्रंट ने राज्य में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के राजशेखरन से मुलाकात कर अपना दावा पेश कर दिया है. मिजोरम के सभी 40 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित हो गए हैं, जिसमें 26 सीटों पर एमएनएफ के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. वहीं 5 सीटें कांग्रेस, एक बीजेपी और 8 सीटें अन्य के खाते में गई है.
दस सालों से मिजोरम के सीएम रहे लाल थनहवला को मंगलवार को दोनों सीटों पर शिकस्त मिली. पूर्वोतर में अपने आखिरी किले को बचाने में विफल रही कांग्रेस. तो वहीं बीजेपी ने पहली बार मिजोरम में एक सीट पर जीत दर्ज की है साथ ही बीजेपी का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है.
पूर्वोत्तर में कांग्रेस का आखिरी किला मिजोरम पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. पिछले 10 साल से मिजोरम की सत्ता पर काबिज कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा है. मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों पर चुनाव के लिए हुई मतगणना में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने बहुमत हासिल कर लिया है.
मिजो नेशनल फ्रंट 10 साल बाद सत्ता में वापसी कर रही है. राज्य के नतीजों की बात करें तो मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों में से मिजो नेशनल फ्रंट को 26 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस केवल पांच सीटों पर सिमट गई है. मिजोरम के सियासी इतिहास में पहली बार बीजेपी ने खाता खोलते हुए एक सीट पर जीत हासिल की है, तो निर्दलीय ने आठ सीटों पर कब्जा किया है. वोट प्रतिशत की बात करें तो मिजो नेशनल फ्रंट को 37.6 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 30.2 फीसदी वोट मिले हैं. निर्दलियों को 22.9 और बीजेपी को 8 फीसदी मत मिले हैं.
नतीजों पर गौर करें तो कांग्रेस के लिए नतीजे बेहद निराशाजनक रहे हैं. मुख्यमंत्री लाल थनहवला अपनी दोनों चम्फाई दक्षिण और सेरछिप सीट बचाने में नाकाम रहे. कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनाव में 34 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एमएनएफ पांच सीट पर कब्जा कर पाई थी. एमएनएफ से 2008 में राज्य की सत्ता छिन गई थी. मिजोरम उत्तर-पूर्व का आखिरी राज्य था, जहां कांग्रेस सत्ता में थी. कांग्रेस नॉर्थ ईस्ट के असम, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में सत्ता से पहले ही बाहर हो चुकी है.
कुल मिलाकर मिजोरम में नयी सरकार सत्ता में आने जा रही है और उम्मीद है कि राज्य विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा.
