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सुप्रीम कोर्ट: दिवाली में रात 8 से 10 बजे तक ही चलेंगे पटाखे

उच्चतम न्यायालय ने बाजार में खतरनाक रसायन रहित केवल पर्यावरण अनुकूल पटाखों को बेचने की दी अनुमति, त्योहारों के दौरान रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की समयसीमा निर्धारित की।

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कड़े प्रतिबंधो के साथ देशभर में पटाखे चलाने की समयसीमा तय कर दी है तो ऑनलाईन पटाखे बिक्री पर रोक लगाते हुए सिर्फ लाइसेंसघारी बिक्रेताओं को पटाखे बेचने की अनुमति दी है।

दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में जहरीली होती हवा और देश के कुछ और राज्यों में बढते वायु प्रदूषण  के खतरे को देखते हुए त्यौहारों के सीजन में देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बडा फैसला दिया है । पूरे देश में पटाखे बनाने, बेचने और जलाने पर प्रतिबंध को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इंकार कर किया। अदालत ने  शर्तों के साथ पटाखे बेचने और जलाने की अनुमति दी । जिसका मतलब ये हुआ कि देशभर में  दीपावाली पर पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने पर रोक नहीं होगी।

दीपवाली पर आठ बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जला सकते हैं। बाकी सारे त्योहारों पर भी समय की यही पाबंदी होगी। क्रिसमस और न्यू ईयर पर रात 11. 55  से 12.30   बजे  तक सिर्फ 35 मिनट ही पटाखे फोड़ सकते हैं।  केवल लाइसेंस धारक ही पटाखे बेच सकते हैं।  कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले हरित पटाखे बनाने और बिक्री की अनुमति होगी। पटाखों में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल ना हो।  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए कि कम प्रदूषण करने वाले पटाखों को ही इजाजत दी जाए । ये निर्देश  शादियों पर भी लागू होंगे । अदालत  ने फ्लिपकार्ट और एमेजन जैसी ई-व्यापारिक वेबसाइटों को उन पटाखों की बिक्री करने से रोक दिया है जो निर्धारित सीमा से अधिक शोर करते हैं। अगर ये वेबसाइटें न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करेंगी तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि वह दीपावली और दूसरे त्यौहारों के अवसर पर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सामुदायिक तरीके से पटाखे फोड़ने को प्रोत्साहन दे। न्यायालय ने कहा कि प्रतिबंधित पटाखे फोड़े जाने की स्थिति में संबंधित इलाके के थाना प्रभारी जिम्मेदार होंगे। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के मामले में इनके निर्माताओं की आजीविका के मौलिक अधिकारों और देश की सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी के स्वास्थ्य के अधिकारों सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।  कोर्ट के फैसले का तमाम पक्षों ने स्वागत किया है ।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नौ अक्टूबर को दीपावली से पहले पटाखों की बिक्री पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया था । बाद में न्यायालय ने कारोबारियों की याचिका खारिज करते हुये 19 अक्टूबर, 2017 के अपने आदेश में किसी प्रकार की ढील देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने अब अपने फैसले में सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया है ।

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