इस्लामाबाद, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलगाव और अर्थव्यवस्था के कमजोर होने के बारे में चिंतित पाकिस्तान की सेना ने चुपचाप भारत से शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए प्रयास किया, लेकिन इस बारे में भारत की प्रतिक्रिया ठंडी थी। यह जानकारी पश्चिमी राजनयिकों और एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने दी है। सेना के शीर्ष कमांडर जनरल जनरल कमर जावेद बाजवा द्वारा शुरू किया गया प्रयास पाकिस्तान के राष्ट्रीय चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू हुआ था। पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र में अपने सीमा विवाद पर भारत के साथ बातचीत शुरू करने की पेशकश की, जो हिंसा भड़कने से 2015 में रुक गई है। इस प्रयास का प्रमुख उद्देश्य भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए बाधाओं को खोलना है, जो पाकिस्तान को क्षेत्रीय बाजारों तक अधिक पहुंच देने के लिए भी था।
मजबूत अर्थव्यवस्था के बगैर सुरक्षा नहीं
पाकिस्तान की सेना देश की तेजी से गिरती अथव्यवस्था को सुरक्षा के खतरे के रूप में देख रही है क्योंकि यह देश में विद्रोहियों की संख्या को बढ़ा देती है। पाकिस्तान ने इस महीने आइएमएफ (आइएमएफ इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड) से 9 मिलियन का फंड मांगा है क्योंकि इसी महीने पाकिस्तान को चीन को कई अरब डॉलर का ऋण को चुकाना है। पाकिस्तान के संचार मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि हम अब आगे बढ़ाना चाहते हैं। हम भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं।’
बाजवा का भारत के प्रति रूख नरम
जनरल बाजवा का कहना है कि ‘देश नहीं बल्कि क्षेत्र समृद्ध एक दूसरे को करते हैं। पाकिस्तान कमजोर के होने से भारत समृद्ध नहीं हो सकता है। अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में पाकिस्तानी सेना के शीर्ष कमांडर जनरल कमर जावेद बाजवा का भारत के प्रति रूख नरम है। जनरल बाजवा ने पिछले वर्ष अक्टूबर में एक भाषण में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को क्षेत्र की सुरक्षा से जोड़कर देखा था। उन्होंने यह विचार व्यक्त किया कि दोनों देश अविभाज्य हैं, तब से इस विचार को ‘बाजवा सिद्धांत के रूप में जाना जाने लगा है।