शिक्षक दिवस पर कल सम्मानित होने बाले शिक्षको से आज पीएम मोदी ने मुलाकात की… पीएम मोदी ने देशभर से चयनित 45 शिक्षको से उनके अनुभवो को साझा किया तो शिक्षा के स्तर को और बेहतर करने पर खुलकर बात की… पीएम मोदी ने शिक्षको से पढाई लिखाई के स्तर को और बेहतर करने पर बात की तो शिक्षको ने चयन के लिये इस बार अपनाई गई पारदर्शी प्रकिया के लिये पीएम मोदी को बधाई दी। देश भर में बुधवार पांच सितंबर यानी शिक्षक दिवस समारोह से पहले राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इन 45 शिक्षकों से स्कूली शिक्षा और उससे जुड़े तमाम पक्षों पर विस्तार से बात की। पीएम ने देश में शिक्षा का स्तर सुधारने में उनके प्रयासों के लिए शिक्षकों को बधाई दी और शिक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि शिक्षक जीवन भर शिक्षक ही रहेगा। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से समाज के लोगों को एकत्र कर उन्हें स्कूल के विकास में अभिन्न अंग बनाने की अपील की। पीएम मोदी ने पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों से कहा कि वो छात्रों खासकर गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों में अंतर्निहित प्रतिभा को बाहर लाने की दिशा में काम करें। पीएम ने कहा कि वो शिक्षकों और बच्चों के बीच के अधिक जुड़ाव के लिए काम करें ताकि छात्र जीवन भर अपने शिक्षकों को याद कर सकें। पीएम ने शिक्षकों को अपने स्कूलों और अपने आसपास को पूरी तरह डिजिटल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
शिक्षकों ने पीएम से अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे नयी सोच के साथ वो अपने अपने स्कूलों में बदलाव के वाहक बने हैं। शिक्षकों ने चयन के लिए नई ऑनलॉइन प्रक्रिया और देश भर में शिक्षा में बदलाव ला रही डिजिटल इंडिया जैसी पहल के लिए पीएम का धन्यवाद किया। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू पांच सितंबर को इन शिक्षकों को 2017 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षकों को शुभकामनाए दी हैं। उऩ्होंने एक संदेश में कहा – गुरु शिष्य परंपरा हमारी सभ्यता और संस्कृति का एक अंग रहा है । हम बहुत भाग्यशाली और धन्य रहे हैं कि हमारी सभ्याता में प्राचीन काल से ही ऐसे गुरु रहे हैं जिन्होंने सच्चाई के साधकों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने का नेतृत्व किया है। जिन शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा है उनमें से हर एक की अपनी अलग ही प्रेरक कहानी है। किसी ने सूचना प्रौद्धौगिकी के जरिए स्कूल में प्रयोग किया तो किसी ने जनभागीदारी से सफलता की नई इबारत लिखी। किसी का जोर ज्यादा से ज्यादा बालिका शिक्षा पर था तो किसी ने विशेष रुप से सक्षम बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।