दुश्मन को चालाकी से मात देने की कला कभी खत्म नहीं होती है। सूचना और प्रौद्योगिकी की प्रगति ने गोपनीयता और पारदर्शिता को कम करने के साथ इसमें नया आयाम जोड़ा है। चूंकि अंतरराष्ट्रीय संबंध अब परंपरागत से बढ़कर गैर-परंपरागत हो चले हैं, इसलिए अब उस युग का अंत हो गया जब कूटनीति की सीमा उनके संबंधित बाहरी मामलों की इकाइयों के पावर ब्लॉक तक सीमित हुआ करती थी। ऑप्टिक्स, उपग्रह संचार उपकरणों ने जटिल नेटवर्क के साथ राष्ट्र के प्रति दृष्टिकोण को फिर से परिभाषित किया है।
इंटरनेट है एक नए मीडिया का रूप
साइबर स्पेस हमेशा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए अस्पष्ट विचार रहा है। हालांकि, प्रतिस्पर्धी समय के दबाव और नव-उदार समकालीन वैश्वीकरण की शुरुआत के साथ, सूचना और संचार के अंत:स्थापित क्षेत्र ने साइबर स्पेस को प्रभुत्व का नया आयाम बना दिया है। अब आईटी पावर ने राज्य प्रणाली में सत्ता के नए विरोधाभास को जन्म दिया है। इंटरनेट नए मीडिया का एक रूप है, क्योंकि इसने सत्ता को राज्य से व्यक्ति की ओर हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की है। वेब किसी भी मूल्य प्रणाली से जुड़ा हुआ नहीं है लेकिन यह धीरे-धीरे हितों और नियंत्रण की अभिव्यक्ति बन गया है। समय और फासले के कम होने के साथ राज्य की संप्रभुता अक्सर संदेह के घेरे में आ जाती थी। चीन सबसे अधिक आबादी वाला देश है। लोगों की संख्या में वृद्धि एक आश्चर्यजनक तथ्य के साथ जुड़ी हुई है कि उसके पास कम संसाधन और उच्च स्तर की मांग है, पर इसकी विनिर्माण गतिविधियों ने इसे वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण ताकत बना दिया है। इसके आर्थिक पुनर्जागरण की गति और पैमाने से मेल न खाने वाले मानकों का भी मार्ग प्रशस्त किया है। अलगाव के लंबे दौर के बाद बीजिंग अब दुनिया के कई देशों से यूआन कमा रहा है।
वैश्विक मामलों में चीन की है एक बड़ी भूमिका
चीन को अपने नवीनीकरण और वैश्विक मामलों में अपनी बड़ी भूमिका के बारे में पता है। अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के लिए साइबर स्पेस पर नियंत्रण के महत्व के बारे में भी वह जानकारी रखता है। 5-जी के प्रौद्योगिकी में चीन के बढ़ते निवेश के साथ ही अमरीका प्रौद्योगिकी में अपने नेतृत्व की हैसियत को बढ़ा सकता है। अगली-पीढ़ी की नेटवर्किंग के लिए इस कदम से चीन रणनीतिक रूप से अपने निवेश और नवीनीकरण को लाभ से आगे अंतिम एकाधिकार तक ले जा रहा है। उसने तेजी से स्मार्ट एप्स का उपयोग कर पानी, बिजली, परिवहन जैसी सार्वजनिक सेवाओं की बेहतर उपलब्धता को सुनिश्चित किया है। अगली पीढ़ी के वायरलेस नेटवर्क के लिए भीड़ उमड़ी हुई है, क्योंकि इसे व्यवसाय और सरकारों के लिए पासा पलट देने वाला माना जा रहा है।
चीन के सामने होंगी कई चुनौतियां
साइबर आक्रमण चीन के लिए कई फायदे साथ लाता है- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर खरीद के किसी भी पहलू में विदेशी स्रोतों की निर्भरता को कम करने, साइबर हमलों के खिलाफ मजबूत आधार विकसित करना और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अपने एजेंडे के अनुरूप एकतरफा तरीके से जानकारी के प्रवाह से निपटना इनमें शामिल है। इसके लिए चुनौतियां भी होंगी। हालांकि, यह हम सभी को मालूम है कि चीन में कैसे पीढिय़ां सेंसर किए गए इंटरनेट के कारण सूचना और ज्ञान के संकीर्ण क्षेत्र में फली-फूली है। चीन का इंटरनेट प्रबंधन गूगल के स्वागत में यह जाहिर कर चुका था कि जब तक वह उसके घरेलू दिशा-निर्देशों का अनुपालन करता है, तब तक वह यहां रह सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी में शामिल अरबों की आबादी के सामने यह नया खतरा है। इसके अलावा, अलीबाबा, टेनेंट, बायडू जैसी स्वदेशी इकाइयों को प्रतिस्पर्धा के दायरे में कोई डर नहीं है, क्योंकि उनके पास दृढ़ता है। अब वे पश्चिम की तुलना में पहले से काफी विविधता रखते हैं। इसके अलावा, चीनी संगठन पेटेंट जैसे क्षेत्रों में अपने अमरीकी समकक्षों को चुनौती दे रहे हैं।
अमरीका अतीत में इंटरनेट पर हावी रहा है लेकिन अब चीन साइबर महाशक्ति बनना चाहता है। चूंकि इंटरनेट में बहस आक्रामक हो जाते हैं, राज्यों पर इसके असर महत्वपूर्ण होते हैं। अमरीका की लुप्त होती प्रभुता और चीन का वेब पर कब्जा, इस खतरनाक बदलाव के वैश्विक तौर पर आर्थिक, कानूनी और नैतिक मायने हैं। केवल हमारे संकट के स्तर पर, हम इस साइबर स्पेस परियोजना को राज्य के हितों के लिए खतरे के नए रूप में नजरअंदाज कर सकते हैं। इन सबसे जो मुद्दे सामने आए हैं वह पुरी दुनिया के लिए है और भारत इन सब से अलग नहीं हैं। यदि इंटरनेट सूचना के मुक्त प्रवाह पर बाधाओं के मंडराने का खतरा है, यदि यह मुक्त व्यापार के खिलाफ प्रतिक्रिया है, तो क्या हम ऐसी दुनिया में रहने के लिए तैयार हैं जहां वैश्विक शासन और उसके संस्थानों के विनाश के लिए स्पष्ट गुहार लगाई जा रही है।
