एशियन गेम्स शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी है। भारतीय दल इस बार खेलों में अधिक से अधिक पदक अपनी झोली में डालने के उद्देश्य से उतरेगा। अन्य खेलों के तरह भारत को बैडमिंटन में पदक जीतने की पूरी उम्मीदें हैं। भारत की तरफ से पीवी सिंधू , साइना नेहवाल और किदांबी श्रीकांत पर देश को स्वर्णिम सफलता दिलाने की जिम्मेदारी होगी। 18 अगस्त से इंडोनेशिया में शुरू होने वाले एशियाई खेलों में एशियाई खेलों में इस बार भारत को बैडमिंटन खिलाड़ियो से पदक की काफी उम्मीदे है। भारतीय खिलाड़ियों के पिछले कुछ समय के प्रदर्शन पर नजर डाले तो उनसे पदक की उम्मीदे और बढ़ जाती है। पिछले एशियन गेम्स में भारत ने बैडमिंटन स्पर्धा में सिर्फ कांस्य पदक जीता था। ऐसे में टीम पर इस बार अपने प्रदर्शन में सुधार करने का दबाव भी होगा। विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के कारण खिलाड़ियों को तैयारी का भी मौका नहीं मिला है, तो सफर मुश्किल भरा लग रहा है। एशियन गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा की बात करें तो अब तक चीन का दबदबा देखने को मिला है। इस बार भी चीन से भारतीय शटलरों को चुनौती मिलेगी। पिछली बार टीम स्पर्धा में भारतीय महिला टीम ने कांस्य पदक जीता था। एकल में सभी खिलाड़ी फ्लॉप साबित हुए थे। हालांकि जकार्ता में इस बार परिस्थितियां बदल सकती है। हाल ही में संपन्न विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के चार खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचे, जो एक रिकॉर्ड है। इसमे से सिंधु फाइनल में जगह बनाने में सफल रही। साइना, श्रीकांत, प्रणय से एकल स्पर्धा में भारत को पदक की उम्मीद होगी। पीवी सिंधू मौजूदा समय में शानदार फॉर्म में हैं। एशियन गेम्स में सिंधू से पदक जीतने की उम्मीदें इसलिए भी प्रबल हैं क्योंकि वह इस सत्र में चार बार फाइनल तक पहुंच चुकी हैं। इस समय महिला सिग्ल्स में पीवी सिंधू दूसरी वरीयता है। वहीं पुल्लेला गोपीचंद के कैंप में आने के बाद साइना नेहवाल ने भी कमबैक किया है और वो भारत के लिए पदक दिला सकती हैं।भारत ने एशियाई खेलों की महिला एकल स्पर्धा में अब तक कभी कोई पदक नहीं जीता है। वहीं आठ बार के पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन सैयद मोदी एशियाई खेलों में भारत एकमात्र व्यक्तिगत पदक विजेता हैं, जिन्होंने 1982 में नयी दिल्ली खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था।