संसद के दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए हुए स्थगित। मानसून सत्र में खूब हुआ कामकाज, लोकसभा में 21 तो राज्यसभा में 14 बिल हुए पारित। अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन विधेयक और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुडे अहम बिल हुए पारित। विपक्ष के हंगामे के चलते राज्यसभा में तीन तलाक से जुड़े अहम विधेयक पर नहीं हो सकी चर्चा। इसी घोषणा के साथ 16वीं लोकसभा का 15वां सत्र समाप्त हो गया। 18 जुलाई को शुरू हुए इस मॉनसून सत्र के दौरान सरकार ने ज़रूरी कामकाज निपटाए और तमाम अहम बिल पास कराने में सफलता हासिल की, वहीं विपक्ष के हंगामे से तीन तलाक जैसा ज़रूरी बिल लटक गया। 18 दिन के इस सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कुल 17-17 बैठकें हुई। हंगामे की वजह से लोकसभा में करीब साढ़े आठ घंटे बर्बाद हुए, जबकि राज्यसभा में करीब 28 घंटे हंगामे की भेंट चढ़े। हालांकि लोकसभा ने निर्धारित समय से करीब 21 घंटे और राज्यसभा ने 3 घंटे ज्यादा काम करके इसकी भरपाई की।सत्र के सफल संचालन के लिए सरकार ने विपक्ष का भी धन्यवाद किया है। कामकाज के लिहाज से देखें तो ये सत्र सामाजिक न्याय के लिहाज से बेहद अहम रहा। सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और एससी-एसटी एक्ट को पुराने रूप में लाने वाले कानून को मंजूरी मिल।पूरे सत्र के दौरान लोकसभा में कुल 22 विधेयक पेश किए गए और 21 पास हुए, वहीं राज्यसभा में 14 विधेयक पारित हुए. संसद के दोनों सदनों से जो अहम विधेयक पास हुए उनमें अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जे से जुड़ा 123वां संविधान संशोधन विधेयक, भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, दीवाला और शोधन अक्षमता संहिता दूसरा संशोधन विधेयक, आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, जीएसटी कानून में संशोधन से जुडे चार बिल, मणिपुर में खेल विश्वविद्धालय की स्थापना से जुड़ा बिल, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक और विशेष राहत संशोधन विधेयक शामिल है। हालांकि सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति न बन पाने से तीन तलाक से जुड़ा बिल और मोटर वाहन संशोधन बिल जैसे बिल लटक भी गए। तीन तलाक बिल लटकने के लिए सरकार ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया. संसद का ये मॉनसून सत्र सत्ता पक्ष के लिए बिल पास कराने के लिहाज से बेहद अहम रहा तो सियासी तौर पर भी सरकार के लिए ये सत्र हौसला बढ़ाने वाला रहा। सरकार ने इसी सत्र में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कराया। इसमें सरकार को एनडीए के साथ ही कई और दलों का साथ मिला। साथ ही राज्यसभा को उसका नया उपसभापति भी इसी सत्र में मिला। उपसभापति के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश ने विपक्ष के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की, जिससे विपक्षी एकजुटता के दावे की हवा निकल गई। मॉनसून सत्र में राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्यों सोनल मानसिंह, राकेश सिन्हा, राम सकल और रघुनाथ मोहपात्रा को शपथ भी दिलाई गई।कुल मिलाकर ये सत्र न केवल विधायी कामकाज बल्कि सियासी लिहाज से भी बेहद अहम रहा। इसके अलावा समाज के कमजोर तबके के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता भी इस सत्र में और जोरदार तरीके से पेश हुई।