असम में एनआरसी का मुद्दा लगातार राजनीतिक रूप से सुर्खियों में बना हुआ है। सरकार ने इस मसले पर उठ रही आशंकाओं को एक बार फिर से निराधार बताया है, तो टीएमसी समेत कई विपक्षी दल उस मुद्दे को हवा दिए हुए हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पश्चिम बंगाल की सियासत और ज्यादा गर्मा गई ह। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन यानि एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट जारी होने के बाद मचे सियासी घमासान पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर अपना रुख साफ किया है। विपक्ष के भेदभाव के आरोपों को खारिज करते हुए राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह ड्राफ्ट असम समझौते के तहत ही बनाया गया है और इसमें किसी के साथ भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बिना वजह माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। गृहमंत्री ने साफ कहा कि इसे बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल ही पारदर्शी है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में समय सीमा के भीतर सभी योग्य भारतीय लोगों का नाम शामिल किया गया है। जिनका नाम शामिल नहीं है वह कानूनी प्रक्रिया के अनुसार दावा कर सकते हैं। लोकसभा में भी ये मामला उठा. तृणमूल कांग्रेस ने असम में पार्टी के सांसदों को हवाई अड्डे परे रोके जाने का मुद्दा उठाया जिसके जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि सिलचर हवाई अड्डे पर टीएमसी सांसदों को कानून व्यवस्था की स्थिति का ध्यान रखते हुए रोका गया था और पार्टी के जनप्रतिनिधियों की तरफ से अशोभनीय बर्ताव भी किया गया था। बीजेपी भी इस मामले में बेहद आक्रामक है। बीजेपी की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमले की कमान शुक्रवार को संभाली भारतीय जनता युवा मोर्चा की अध्यक्ष पूनम महाजन ने. पूनम ने ममता को न केवल यू टर्न दीदी करार दिया बल्कि राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या का दोषी भी बताया। साथ ही भारतीय जनता युवा मोर्चा 11 अगस्त को कोलकाता में उसी जगह पर बड़ी रैली करने जा रही है, जहां टीएमसी की स्थापना हुई थी. इस रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल होंगे। जाहिर है आने वाले दिनों में एनआरसी पर टकराव कम होने की उम्मीद कम दिख रही है।
