जल्द ही बैंकों से होमलोन और कारलोन लेना महंगा हो सकता है। क्योंकि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो और रिवर्स रेपो में बढ़ोतरी कर दी है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो और रिवर्स रेपो में बढ़ोतरी की है। 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ रेपो रेट 6.50 प्रतिशत कर दी गयी है। वहीं रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में हुई छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने समीक्षा बैठक के तीसरे दिन आज यह फैसला किया। इससे पहले जून में भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट की दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। पिछले दो महीनों में खुदरा और थोक महंगाई में बढ़ोतरी देखी गयी है। समिति ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई- सितंबर तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.2 प्रतिशत पर रखा है जबकि वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान इसके 4.8 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया है। ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें इस साल लगभग 20 फीसदी बढ़ चुकी है और मई के दौरान क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर चला गया। रिजर्व बैंक ने गवर्नर ने कहा है कि हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ी है, विशेषकर वैश्विक हालात चिंताजनक बने हुए हैं। रिजर्व बैंक ने जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उसने जीडीपी वृद्धि 7.5 से 7.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान व्यक्त किया है। मौजूदा ब्याज दरों में वृद्धि से आने वाले समय में बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो सकता है। ब्याज दरों में हुई इस बढ़ोतरी का सीधा असर कर्ज की दरों और ईएमआई पर पड़ेगा। रेपो रेट के बढ़ने से बैंकों से होम लोन और ऑटो लोन समेत अन्य कर्ज लेना महंगा साबित होगा।
