ऐसी राजनैतिक रंजिश की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं – मुख्यमंत्री
चंडीगढ़,
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अमृतसर इम्परूवमैंट ट्रस्ट मामले में अदालत द्वारा रिपोर्ट रद्द करने को स्वीकृत करने का स्वागत किया है और इसको सच्चाई की जीत बताया है। इसके साथ ही यह सिद्ध हो गया है कि इस सम्बन्ध में कोई भी दोष नहीं था और पिछली सरकार ने राजनैतिक रंजिश के अपने एजंडे के तहत इन दोषोंं को अपने आप घड़ा था। विजीलैंस की रिपोर्ट को मोहाली अदालत द्वारा स्वीकृत किये जाने पर मुख्यमंत्री प्रतिक्रिया प्रकट कर रहे थे जिसमें यह बात सामने आई है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह सहित सभी 15 दोषी 2008 के मामले में बेगुनाह हैं । कुल 18 दोषियों में से इस समय तीन की मौत हो चुकी है । हाईकोर्ट द्वारा इसकी आगे और पड़ताल करने के दिए गए आदेश के बाद यह अदालती फ़ैसला आया है और विजीलैंस ब्यूरो इस नतीजे पर पहुँची है कि किसी भी डिवैलपर को अनावश्यक फ़ायदा नहीं पहुँचाया गया और सरकार के नीति फ़ैसले अनुसार पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर छूट दी गई है । ऐसा लाइसेंस देने के सम्बन्ध में डिवैलपर के दावे को विचारते हुए किया गया है । इस लिए सभी दोषियोंं के विरुद्ध एफ.आई.आर. रद्द करन की माँग की गई । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह समूचा केस स्पष्ट तौर पर राजनीति से प्रेरित था। इस मामले में 500 सुनवाईयां हुई । आज प्रात:काल दिए गए इस फ़ैसले के बाद अदालत से बाहर आते समय पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे न केवल उनको असुविधा हुई बल्कि इससे आम लोगों को भी परेशानी हुई । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि राजनैतिक रंजिश की ऐसी बातें नहीं होनी चाहीऐ और यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं । एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विजीलैंस ब्यूरो पर दोष नहीं मढ़ें जाने चाहिए । रिपोर्ट रद्द करने के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि यह मूल रूप में शिरोमणि अकाली दल -भाजपा के शासन के समय पर दर्ज की गई थी । ऐसा अदालत के आदेश के बाद मामले की ब्यूरो द्वारा फिर पड़ताल के दौरान किया गया था । उन्होंने कहा कि इसको रद्द करने के सम्बन्ध में उनकी कोई भूमिका नहीं है और यह मेरिट के आधार पर हुआ है । मुख्यमंत्री के वकील ए.पी.एस. दियोल ने कहा कि आखिर न्याय मिला है और न्यायपालिका में उनका विस्वास मजबूत हुआ है । उन्होंने कहा कि उनको यह सिद्ध करना पड़ा कि इस मामले की कोई महत्ता नहीं थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पस्ट किया कि इस मामले में अपील के लिए कोई जगह नहीं है और कोई भी दोष निर्धारित नहीं किया गया । इससे पहले एडीशनल सैशन जज जसविन्दर सिंह ने संक्षिप्त में अपना फ़ैसला पढ़ा । उन्होंने इस केस के दोषोंं को पढ़ते हुए यह कहते हुए समाप्त किया, ‘की गई दूसरी पड़ताल ठीक है .. … अदालत रिपोर्ट रद्द किये जाने को स्वीकृत करती है ।’ इस केस में दोषोंं का केंद्र एक अजैकटिव फ़ैसला था जो शहरी विकास और अवास निर्माण विभाग द्वारा कैप्टन अमरिन्दर सिंह की साल 2002 -2007 के समय की नेतृत्व वाली सरकार समय पर लिया गया था । यह मामला पंजाब में विकास को बढ़ावा देने के लिए एक कोलोनाईजऱ को लाइसेंस देने से सम्बन्धित था । कोलोनाईजऱ ने अमृतसर इम्परूवमैंट ट्रस्ट की तरफ से ज़मीन प्राप्त कर लेने के नोटीफिकेशन से पहले लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। सरकारी नीति के अनुसार लाइसेंस पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जाना था । चाहे, विरोधी पार्टियों द्वारा उस समय यह दोष लगाऐ गए थे कि छूट सरकारी नीति के अनुसार नहीं दी गई बल्कि यह किसी को निजी फ़ायदा पहुंचाती है । अकाली सरकार द्वारा सत्ता संभालने के बाद विधानसभा की तरफ से हरीश ढांडा कमेटी स्थापित की गई जिसमें सभी अकाली विधायक शामिल थे । यहाँ तक कि पूर्व मंत्री रघुनाथ सहाए पुरी, चौधरी जगजीत सिंह और स्पीकर केवल कृष्ण पर भी मामले को लेकर दोष मढ़े गए । हरीश ढांडा कमेटी ने 95 पन्नों की रिपोर्ट पेश करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह को शेष समय तक हाऊस में से बखऱ्ास्त करने की सिफारिश की । इसके इलावा हिरासती पूछताछ सम्बन्धित जांच और इस सम्बन्धित रिपोर्ट दो महीनों में स्पीकर विधानसभा को पेश की जानी थी । इन सिफारशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिनको रद्द करते हुए यह कहा गया था कि राजनैतिक विरोधी द्वारा लिए कार्यकारी फ़ैसले की प्रक्रिया में कमियां बताकर मुकदमा चलाया गया । अदालत ने कहा थी कि कमेटी द्वारा रिकार्ड किये गए तथ्य विचार अधीन नहीं लाए जाने चाहिए और कानून के मुताबिक सी.आर.पी.सी के अंतर्गत एक स्वतंत्र जांच करवाई जाये । मामले की फिर जांच की गई और यह खुलासा हुआ कि 32 एकड़ ज़मीन को छूट देने से सरकारी खजाने को कोई नुक्सान नहीं पहुँचा है । वास्तव में, कुलैकटर द्वारा तय किया रेट कोलोनायजऱ द्वारा दिए रेट से कहीं कम था जिससे विभाग को अतिरिक्त राजस्व हासिल हुआ । यह छूट पंजाब टाऊन इम्परूवमैंट ट्रस्ट एक्ट की धारा 56 के अंतर्गत इम्परूवमैंट ट्रस्ट द्वारा एतराज़हीनता सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद दी पाई गई । जिस पर मुकदमा रद्द करने की रिपोर्ट पेश की गई और अदालत द्वारा स्वीकृत कर ली गई ।