चंडीगढ़,
राज्यभर में ग़ैर-योजनाबद्ध निर्माणों के खुंबों की तरह बढऩे से रोकने के लिए मंत्रीमंडल ने अनाधिकृत कलोनियों और इन कलोनियों में आतेे प्लाटों /इमारतों को नियमत करने के लिए नीति को मंजूरी दे दी है। एक सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक इस नीति के घेरे में 19 मार्च, 2018 से पहले विकसित हुई कलोनियां आऐंगी। नीति के मुताबिक कोई भी डिवैलपर, रैज़ीडैंट वैलफेयर एसोसिएशन या को-आपरेटिव सोसायटी अनाधिकृत कलोनियों को नियमत करवाने के लिए एप्लाई कर सकते हैं। हालाँकि प्लाटों के मामले में पूरी कालोनी को इक_े नियमत करवाने को ज़रूरी नहीं बनाया गया और प्लाट का अकेला मालिक भी अपने प्लाट को नियमत करवाने के लिए सीधे तौर पर एप्लाई कर सकता है। यह नीति पंजाब न्यू कैपिटल (पैराफेरी) कंट्रोल एक्ट -1952 में आती म्यूंनिसिपल हदों समेत पूरे राज्य में लागू होगी परन्तु पैराफेरी क्षेत्र के बाकी के स्थानों पर यह लागू नहीं होगी। यह नीति अपार्टमेंट वाली कलोनियों पर भी लागू नहीं होगी। इस नीति के अंतर्गत अनाधिकृत कलोनियों को रेगुलर करवाने के लिए चार महीनों का समय दिया जायेगा। यह समय गुजऱ जाने पर सम्बन्धित अथॉरिटी को अनाधिकृत कलोनियों का पता लगाने के लिए तीन महीनों का समय दिया जायेगा। इस नीति के अंतर्गत अनाधिकृत कालोनी या प्लाट/इमारत को रेगुलर करवाने के लिए तय समय के बाद एप्लाई किया जाता है तो नियमत फीस की 20 प्रतिशत राशि का जुर्माना लगेगा। हालाँकि कोई भी आवेदक जो इस नीति अधीन एप्लाई करने से वंचित रह जाता है, तो उसे कानून के उपबंधों के अंतर्गत जुर्माना किया जायेगा। इस नीति के अंतर्गत कम्पोजीशन चार्जिज़ की 25 प्रतिशत राशि हासिल करने के बाद कलोनाईजऱ के खि़लाफ़ सिविल /अपराधिक कार्यवाही यदि कोई हो तो मुअत्तल की जा सकती है। हालाँकि इस कार्यवाही को कलोनियों को नियमत होने की अंतिम प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद ही वापस लिया जायेगा। कलोनियों और प्लाटों को रेगुलर करने के लिए फीस 20 अप्रैल, 2018 को नोटीफायी हुई पिछली नीति के मुताबिक ली जायेगी। अनाधिकृत कलोनियों /प्लाटों को रेगुलर करने की प्रक्रिया से एकत्रित हुई आय को इन कलोनियों के निवासियों को प्राथमिक सुविधाएं मुहैया करवाने पर खर्च किया जायेगा।
