नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने केंद्रीय बैंक के पास पूंजी के उपयुक्त स्तर पर अपनी रिपोर्ट को बुधवार को अंतिम रूप दे दिया है। गौरतलब है कि 26 दिसंबर, 2018 को छह सदस्यीय जालान समिति की नियुक्ति की गई थी। समिति को आरबीआई की आर्थिक पूंजी रूपरेखा ढांचे की समीक्षा कर रिजर्व बैंक के पास रहने वाले उपयुक्त पूंजी स्तर के बारे में सिफारिश देने को कहा गया था।न्यूज एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, बुधवार को समिति की बैठक के बाद सूत्रों द्वारा बताया गया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है। कहा जा रहा है कि अब आगे और बैठकों की जरूरत नहीं है। समझा जाता है कि समिति ने रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध अतिरिक्त अधिशेष पूंजी को अगले तीन से पांच साल के दौरान सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश की है।रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की 2017-18 सालाना रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के पास कुल 9.59 लाख करोड़ की सरपल्स पूंजी है। इसमें आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपये, परिसंपत्ति विकास निधि 22,811 करोड़ रुपये, मुद्रा व स्वर्ण पुनर्मूल्यांकन खाता 6.91 लाख रुपये और निवेश पुनर्मूल्यांकन खाता रि-सिक्योरिटीज 13,285 करोड़ रुपये है।आरबीआई की इस सरपल्स पूंजी में से केंद्र सरकार पूरी आकस्मिक निधि अर्थात 2.32 लाख करोड़ रुपये चाहती है, लेकिन जालान समिति मुद्रा में उतार-चढ़ाव को लेकर पूरी निधि सरकार को हस्तांतरित किए जाने के पक्ष में नहीं है।सरकार आरबीआई की इस सरपल्स पूंजी से अपने राजकोषीय घाटे को कम करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 फीसद राजकोषीय घाटा लक्ष्य निर्धारित किया है। आरबीआई की सरपल्स पूंजी के हस्तांतरण के अलावा सरकार को चालू वित्त वर्ष में आरबीआई से 90,000 करोड़ रुपये के लाभांश की भी उम्मीद है। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से 68,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।