पंजाब संगीत नाटक अकादमी के प्रोग्राम ‘उडीकां सावन दियां’ में अमरजीत गुरदासपुरी का किया गया सम्मान
चंडीगढ़ – अमरजीत गुरदासपुरी स्वच्छ, सार्थक और लोक हितों की गायकी का मुजस्समा है जिसकी गायकी की परंपरा को आगे चलाना समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है। इस लोक गायक की जीवनी से आज की पीढ़ी के गायक सीख लेकर कला और सभ्याचार क्षेत्र को और समृद्ध बना सकते हैं। अमरजीत गुरदासपुरी द्वारा जो पंजाबी गायकी क्षेत्र में नवीन कदम उठाये, वह बहुत से लोगों का मार्गदर्शक भी बन रहे हैं। ‘यह बात पंजाब के सहकारिता और जेल संबंधी मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने पंजाब कला भवन में पंजाब संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘उडीकां सावन दियां संगीत और नाटक उत्सव’ के अधीन अपने समय के प्रसिद्ध गायक अमरजीत गुरदासपुरी को श्रोताओं के सम्मुख करवाए प्रोग्राम के दौरान संबोधित करते हुये कही।स. रंधावा ने कहा कि गुरदासपुर जिले को मान है कि शिव बटालवी और अमरजीत गुरदासपुरी जैसे दो अनमोल हीरे साहित्य और कला क्षेत्र को दिए। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए निजी ख़ुशी की बात है कि अमरजीत गुरदासपुरी के गाँव उदोंवाली में हमारी ज़मीन है और इस परिवार के साथ मेरी पुरानी सांझ है।’ उन्होंने कहा कि गंदली और लचर गायकी के दौर में अमरजीत गुरदासपुरी की गायकी ठंडी हवा का झौंका है जिस पर समूचे पंजाबियों को मान है। उन्होंने कहा कि आज के समय में गायकी, राजनीति आदि हर क्षेत्र में गिरावट आ रही है और इस समय में ऐसी पवित्र रूहों के कारण ही पंजाब की लोक गायकी बची हुई है।स. रंधावा ने इस मौके पर अमरजीत गुरदासपुरी को सम्मानित किया और अपने ऐच्छिक कोटे में से पंजाब संगीत नाटक अकादमी को तीन लाख रुपए का अनुदान देने का ऐलान किया जिसमें से एक लाख रुपए विशेष तौर पर निन्दर घुगियानवी द्वारा अमरजीत गुरदासपुरी की जीवनी पर बनाई डाक्यूमैंटरी के निर्माण के लिए दिए जाएंगे। अमरजीत गुरदासपुरी श्रोतओं के रूबरू भी हुए और अपनी बुलंद आवाज़ में हीर की कली भी सुनाई।इसी मौके पर निन्दर घुगियानवी द्वारा प्रो. गुरभजन गिल की प्रेरणा से अमरजीत गुरदासपुरी की गायकी और साथ-साथ उनके जीवन को दर्शाती बनाई गई 50 मिनट की डाक्यूमैंटरी भी दिखाई गई जिसकी श्रोतओं द्वारा बहुत सराहना की गई। अपने समय के प्रसिद्ध गायक गुरचरन सिंह बोपाराए, स्वर्न सिंह और युद्धवीर ने अपने प्रसिद्ध गीतों से श्रोताओं का भरपूर समर्थन मिला। इसी लड़ी में गायक गुरिन्दर गैरी ने जहां स्वर्गीय गीतकार इंद्रजीत हसनपुरी के गीत ‘जदों याद सज्जना वे तेरी आए’ और गायक पिंक शैंडी ने ‘दूल्हा भट्टी’ लोक गाथा गाकर अच्छा समां बांधा।पंजाब संगीत नाटक अकादमी के सचिव प्रीतम रुपाल द्वारा प्रत्येक का धन्यवाद किया गया। डा. सुरिन्दर गिल, शमशेर संधू, नवदीप सिंह गिल और संजीवन सिंह द्वारा अमरजीत गुरदासपुरी के साथ जहां अपनी यादों को सांझा किया, वहीं उनके द्वारा उनकी सार्थक कला को भी सराहा गया। इस मौके पर पंजाब संगीत नाटक अकादमी द्वारा कैबिनेट मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा और पंजाब कला परिषद के मीडिया कोआर्डीनेटर और लेखक निन्दर घुगियानवी को सम्मान देकर नवाजा गया।इस समारोह में लेखक शबदीश, सुभाष भास्कर, अदाकारा और निर्देशिका अनीता शबदीश, नाटककार लेखक और निर्देशक संजीवन सिंह, जे. एस. खुशदिल, स. गुरदर्शन सिंह बाहिया, गुरमेल सिंह सिद्धू, दर्शन पतली और एडवोकेट कुलबीर सिंह सेखों भी शामिल हुए। समागम का मंच संचालन भुपिन्दर सिंह मलिक द्वारा बखूबी किया गया।