पंजाब

मुख्यमंत्री द्वारा भूजल का स्तर गिरने की समस्या से निपटने के लिए आम सहमति बनाने के लिए सर्व दलीय मीटिंग बुलाने का ऐलान

पानी के बढिय़ा प्रबंधन के लिए प्रांतीय जल अथॉरिटी गठित करने के लिए सहमति दी

चंडीगढ़ – पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भूजल का स्तर लगातार गिरने की समस्या के व्यापक हल के लिए आम सहमति बनानेे के लिए जल्द ही सर्व-दलीय मीटिंग बुलाऐ जाने का ऐलान किया है।सूबे में भूजल के लगातार नीचे जाने सम्बन्धी चिंताजनक स्थिति को हल करने के लिए तौर तरीके ढूंढने के लिए कैबिनेट मंत्रियों, राजनैतिक नेताओं, जल माहिरों, वैज्ञानिकों, सीनियर सरकारी अधिकारियों और किसानी और उद्योग के नुमायंदों के साथ विचार-विमर्श के लिए पंजाब भवन में एक उच्च स्तरीय मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि भावी पीढ़ी के लिए इस समस्या के साथ निपटने का यह अहम समय है क्योंकि पंजाब इस समय मरूस्थल बनने की कगार पर खड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हमने अभी कोई कार्यवाही न की तो हमारी आने वाली नसलें हमें कभी माफ नहीं करेंगी।सर्व पार्टी मीटिंग बुलाने के उद्देश्यों का खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनैतिक आम सहमति पैदा करने के लिए सर्व पार्टी मीटिंग एक सेहतमंद मंच मुहैया करवाएगी जोकि सूबे और सूबे के लोगों और आने वाली पीढ़ीयों की होंद पर तीखा प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि इस समय इस मामले पर इस्तेमाल की गई ढील हमें कहीं का भी नहीं छोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने सभी किसान जत्थेबंदियों से भी इस सम्बन्ध में दिल से सहयोग माँगा है क्योंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर मानवता की होंद के साथ संबंधित है। 1985-86 में कृषि मंत्री के तौर पर निजी तजुर्बों का वर्णन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सूबे में 17.1 एम.ए.एफ पानी उपलब्धता का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से इराडी कमीशन का गठन किया गया था परन्तु अब पिछले 30 सालों में यह 13.1 एम.ए.एफ तक नीचे आ गया है। उन्होंने कहा कि मौसम की तबदीली के कारण बफर्ले क्षेत्रों में कमी आई है। इससे भूजल वास्तविक रूप में नीचे गिरा है। यह विचार विमर्श तकरीबन चार घंटे से अधिक समय चला। इसमें जल माहिरों, अकादमीशनों और विज्ञानियों के अलावा माहाराष्ट्र जैसे दूसरे सूबों के माहिरों ने अपने विचार पेश किये। इस दौरान पैदा हुई आम सहमति और की गई माँगों को स्वीकृत करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सूबे में घरेलू, कृषि, उद्योग और अन्य मकसदों के लिए पानी के उपयुक्त प्रयोग को यकीनी बनाने के लिए पंजाब जल रैगूलेशन और विकास अथॉरिटी स्थापित करने के लिए मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव विश्वजीत खन्ना के नेतृत्व में एक कमेटी गठित करने का ऐलान किया है जिसमें पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डा. बी एस ढिल्लों शामिल होंगे। यह कमेटी मौजूदा फ़सलीय तौर -तरीकों में तबदीली की संभावनाओं का पता लगाएगी। इसके अलावा यह किसानों को धान की फ़सल लगाना छोडऩे बारे प्रेरित करने के लिए पुख़्ता स्कीम विकसित करने की संभावनाओं का भी पता लगाएगी जिससे किसानों को मक्का, दालों जैसी वैकल्पिक फसलों और सब्जियों और बाग़बानी की ओर लेजाया जा सके। ऐसा पानी को बचाने के लिए राज्य सरकार के यत्नों के हिस्से के तौर पर फ़सलीय विभिन्नता प्रोग्राम अधीन किया जायेगा। इससे पहले पंजाब में भूजल के नीचे जाने की मौजूदा स्थिति बारे अपनी प्रस्तुति के दौरान प्रमुख सचिव जल स्रोत सरवजीत सिंह ने कहा कि इस समय 300 मीटर तक भूजल के स्रोत उपलब्ध हैं और अगर पानी इसी रफ़्तार के साथ नीचे जाता रहा तो अगले 20 से 25 सालों में इस स्तर पर पानी नहीं रहेगा। कुछ क्षेत्रों में तो इससे पहले ही पानी ख़त्म हो जायेगा। विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुए अतिरिक्त मुख्यसचिव विकास विसवाजीत खन्ना ने बताया कि पानी की किल्लत से निपटने के लिए कुछ रास्ते से एकतरफ़ हट के कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि नरमे अधीन का क्षेत्रफल साल 2019 में 4.02 लाख हेक्टेयर हो गया है जो पहले 2.90 लाख हेक्टेयर था जिसको धीरे धीरे 6 लाख हेक्टेयर तक लेजाया जायेगा। इसी तरह साल 2018 में मक्का की काश्त अधीन क्षेत्रफल 1.08 लाख हेक्टेयर था जिसको साल 2021 तक बढ़ाकर 2.5 लाख हेक्टेयर किया जायेगा। इसी तरह बासमती अधीन क्षेत्रफल साल 2018 में 5.16 लाख हेक्टेयर था जिसको साल 2022 तक 7 लाख हेक्टेयर तक लेजाया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि बाग़बानी की फसलों अधीन क्षेत्रफल को बढ़ाकर साल 2023-24 तक 4.85 लाख हेक्टेयर तक लेजाया जायेगा जो साल 2018 में 3.81 लाख हेक्टेयर था। उन्होंने नरमा, मक्का और गन्ने की काश्त के लिए बूंद सिंचाई को उत्साहित करने के अलावा सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों के सुधारे हुए पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि पानी की बचत करने के लिए गन्ने की काश्त बूंद सिंचाई के द्वारा करने और इसी तरह मक्का और नरमे जैसी फसलों को भी बूंद सिंचाई अधीन लाया जा सकता है।पानी के गिर रहे स्तर से पैदा हुई स्थिति पर अपने विचार ज़ाहिर करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि बड़े सार्वजनिक हितों को पहल देते हुए हरेक वर्ग ख़ास कर सभी राजनैतिक पार्टियों को राजनैतिक भिन्नताओं से ऊपर उठकर आपसी तालमेल के साथ इस समस्या को हल किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री के गतिशील नेतृत्व और दूरदर्शी पहुँच की भी प्रशंसा की जो इस संकट के साथ निपटने के लिए सूबे की रहनुमाई कर सकते हैं क्योंकि इस संकट के निकट भविष्य में भयानक निष्कर्ष निकल सकते हैं।स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्रा ने कहा कि शहरी इलाकों में घरेलू और उद्योग के लिए पानी के होते दुरुपयोग को रोकना यकीनी बनाने के लिए विभाग की तरफ से पेश कमियां दूर की जाएंगी। उन्होंने कहा कि बारिश के पानी की लाजि़मी संभाल के लिए इमारती नियमों को उचित ढंग के साथ लागू किया जाये।ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने कहा कि भूजल का स्तर बढ़ाने के लिए सूबे की चिंताओं के हिस्से के तौर पर विभाग की तरफ से एक विशाल मुहिम आरंभ की गई है जिसके अधीन तकरीबन 6000 गाँवों के छप्पड़ों में से कीचड़ निकाला जा रहा है और उनको सीचेवाल मॉडल और अन्य प्रौद्यौगिकी के साथ वैज्ञानिक तर्ज पर तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुधारा गया पानी सिंचाई मकसदों के लिए इस्तेमाल किया जायेगा। जल स्रोत मंत्री सुखबिन्दर सिंह सरकारिया ने कहा कि सभी पार्टियों की व्यापक सहमति यकीनी बनाने के लिए न्यूनतम साझा प्रोग्राम बनाया जाना चाहिए जिससे पानी के संकट का हमेशा के लिए हल निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग ने पुरानी नहरों के बुनियादी ढांचों का स्तर ऊँचा उठाने के लिए भारत सरकार को कई प्रस्ताव सौंपे हैं जिससे नहरों के पानी लेजाने का सामथ्र्य बढ़ाया जा सके। सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा कि समाज के हरेक वर्ग को जागरूक करने के लिए व्यापक जागरूकता मुहिम चलानी चाहिए और ख़ास कर इस मुहिम की शुरुआत प्राईमरी स्कूलों से की जाये जहाँ बच्चों को पानी की महत्ता और इसके सभ्य इस्तेमाल करने बारे अवगत करवाया जाये।उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि भूजल बारे सूबे की अपनी अथॉरिटी होनी चाहिए जिससे उद्योग, कृषि और घरेलू और अन्य मंतव्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के साथ सम्बन्धित मसलों का चिरस्थायी हल निकाला जा सके।लोक निर्माण और स्कूल शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला और ट्रांसपोर्ट मंत्री रजिया सुलताना ने भी सार्वजनिक हित में पानी बचाने के लिए अपने विचार साझे करते हुए कहा कि यह समय की बहुत बड़ी ज़रूरत है।भाखड़ा -ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन डी.के. शर्मा ने भाखड़ा और पौंग डैमों की ताज़ा स्थिति पर रौशनी डाली।इसी दौरान पंजाब किसान कमीशन के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने कहा कि जागरूकता प्रोग्राम चलाने के अलावा इस बड़े प्रयासों के लिए सभी किसान जत्थेबंदियों की हिस्सेदारी को भी यकीनी बनाया जाना चाहिए जिससे बहुमूल्य कुदरती स्रोत के तौर पर पानी के उपयुक्त प्रयोग को सुनिश्चित किया जा सके। विचार-विमर्श में हिस्सा लेने वाली सख्शियतों में विधायक राणा गुरजीत सिंह, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन डी.के. शर्मा, पंजाब प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डा. एस.एस. मरवाहा, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डा. बी.एस. ढिल्लों, इजराइल से जल माहिर निव पिंटो, पावरकॉम के चेयरमैन बी.एस. सरां, भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख भुपिन्दर सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन राजेवाल ग्रुप के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल, महाराष्ट्र जल स्रोत रेगुलेटरी अथॉरिटी के मैंबर (लॉ) विनोद तिवाड़ी, करिड्ड से प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा. आर. एस. घूम्मण और डा. रशपाल मल्होत्रा, वर्धमान ग्रुप के सचित जैन और नबार्ड के चीफ़ जनरल मैनेजर जे.पी.एस. बिंद्रा शामिल थे।मीटिंग में मुख्यसचिव करण अवतार सिंह के अलावा राज्य सरकार के सीनियर अधिकारी उपस्थित थे।

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