पर्यावरण की रक्षा के लिए साझे तौर पर प्रयास करने का आमंत्रण
चंडीगढ़ – पर्यावरण की रक्षा के लिए कड़ा रूख अपनाते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हरेक नागरिक को साझे तौर पर प्रयास करने का न्योता दिया जबकि इसके साथ ही उन्होंने प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्यावरण के मापदण्डों के पालन के लिए उद्योग के साथ सख्ती से पेश आने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यहाँ हुए राज्य स्तरीय समागम के दौरान संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने पर्यावरण से सम्बन्धित मसलों को हल करने के लिए ग़ैर -राजनैतिक पहुँच अपनाने की महत्ता दिखाई जिससे हमारी आने वाली पीढ़ीयों को टिकाऊ पर्यावरण मुहैया करवाया जा सके। आज इत्तफाक से पंजाब सरकार के अनूठे प्रोजैक्ट ‘मिशन तंदुरुस्त पंजाब’ की भी पहली वर्षगांठ थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार नीतियाँ बनाकर उनको लागू कर सकती है परन्तु इसको वास्तविक रूप देने के लिए हरेक नागरिक द्वारा निजी यत्न किये जाने की ज़रूरत है और उद्योग द्वारा पर्यावरण नियमों का सख़्ती से पालन करना भी उतनी ही महत्वपूर्ण है ताकि स्थिरता के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। इस साल विश्व पर्यावरण के अवसर पर इत्तफाक से गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व का भी वर्ष है जो पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा लोगों को संदेश देते रहे हैं।इस साल के अंत में बूढ़े नाले की सफ़ाई का प्रोजैक्ट आरंभ करने का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हरेक व्यक्ति की जि़म्मेदारी बनती है। उन्होंने लोगों को भूजल की संभाल के लिए जि़म्मेदारी निभाने का न्योता दिया क्योंकि पंजाब में पानी का स्तर नीचे गिर रहा है। अगले 20 सालों में पंजाब के मरूस्थल बन जाने की रिपोर्टों का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने दुख के साथ कहा कि मुफ़्त बिजली और पानी के साथ इसकी बर्बादी हुई है जिस कारण इस सम्बन्ध में किसानों को अपनी जि़म्मेदारी का एहसास करने की ज़रूरत है।अमृतसर के हवाई सफऱ के दौरान अपना तजुर्बा साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उनको ब्यास नदी तो साफ़ दिखी जबकि दूसरी तरफ़ सतलुज गंदी थी जिसका पानी पास के शहरों, कस्बों और उद्योगों के प्रदूषण के कारण गंदला था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चाहे पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इस स्थिति को उलटने के लिए अपने तरफ से पूरी ताकत लगा रहा है परन्तु इन यत्नों में लोगों को भी सहयोग करना चाहिए।मुख्यमंत्री ने राज्य के पर्यावरण को बचाने के लिए जामुन, आम जैसे परंपरागत पौधे लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सडक़ों के दोनों तरफ़ सफ़ेदे जैसे पानी के उपभोग वाले पौधे लगाने पर रोक लगाने के लिए एक बार फिर हुक्म जारी किये हैं और उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी इसकी पाबंदी लगा दी थी। मुख्यमंत्री ने धान के फ़सलीय चक्कर से निकल कर वैकल्पिक फसलों की तरफ लौटने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि माछीवाड़ा में स्थापित किया जा रहा फूड प्रोसैसिंग पलांट इस क्षेत्र में एक अन्य कदम है।मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी की स्थिति बद्तर होती जा रही है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, वनों का क्षेत्रफल घट रहा है और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है जिस कारण स्थिति को काबू में लाने के लिए तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हरेक व्यक्ति को इस बात के लिए सचेत होने की ज़रूरत है कि वह अपने घर और आस-पड़ोस में पर्यावरण को बचाने के लिए क्या कुछ कर सकता है।यह राज्य स्तरीय समागम आई.आई.टी रोपड़ के कैंपस में हुआ और संस्था द्वारा इस अवसर पर एक प्रस्तुति भी दी गई। आई.आई.टी के डायरैक्टर डॉ. एस.के. दास ने मुख्यमंत्री का पहुँचने पर स्वागत किया। मुख्य मंत्री के साथ उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल के अलावा विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह, वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी, उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और शहीद भगत सिंह नगर के विधायक अंगद सिंह, रोपड़ के विधायक अमरजीत सिंह संधोआ और जिला कांग्रेस समिति रोपड़ के प्रधान बरिन्दर सिंह ढिल्लों उपस्थित थे।