देशभर में शुक्रवार को गुरु नानक जी का 549वां प्रकाश पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के दिल्ली स्थित निवास पहुंचे, जहां उन्होंने उनके घर में गुरबाणी सुनी. गुरु पर्व के मौके पर पीएम ने कहा लोगों को जोड़ेगा करतारपुर गलियारा. वहीं कार्तिक पूर्णिमा पर देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में डुबकी लगाई.
देशभर में शुक्रवार को गुरु नानक जी का 549वां प्रकाश पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया. सिख धर्म के संस्थापक सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के जन्म के उपलक्ष में हर वर्ष गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के दिल्ली स्थित निवास पहुंचे, जहां उन्होंने उनके घर में गुरबाणी सुनी. इस मौके पर हरसिमरत कौर बादल भी मौजूद थीं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात और पंजाब का खास नाता है, क्योंकि जो पहले पंचप्यारे थे उनमें से एक गुजरात के द्वारका से थे.
इस पावन मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं भी दीं. राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने प्रकाश पर्व की बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘सभी देशवासियों, विशेषकर भारत और विदेश में हमारे सिख भाइयों और बहनों को गुरुपर्व की बधाई. गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं से हमें शांति, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है.’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राजधानी लखनऊ में प्रकाश उत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
कार्तिक पूर्णिमा को नदियों के घाटों पर स्नान करने वालों का जन सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह से ही दूर दूर से आए श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर देशवासियों को बधाई दी. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई. इस अवसर पर गंगा स्नान और दीपदान की प्राचीन परंपरा रही है. मैं समस्त देशवासियों के समग्र कल्याण की कामना करता हूं.
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नदियों में छोटी छोटी नावें बनाकर उन्हें प्रवाहित किया गया और मंगल कामना की गई जिसे स्थानीय भाषा में बोईत बंदना कहा जाता है.
नेपाल में भी गुरु पर्व काफी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. उम्मीद की जानी चाहिए कि ये पर्व समाज में आपसी भाईचारे, बंधुत्व और प्रेम को औऱ भी मजबूत करने का काम यूं ही करता रहेगा.
