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RBI गर्वनर नहीं देंगे इस्तीफा, 19 नवंबर को बोर्ड की मीटिंग में होंगे शामिल : रिपोर्ट्स

नई दिल्ली – सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने 19 नवंबर को बोर्ड की एक मीटिंग बुलाई है जिसमें सरकार और आरबीआई के बीच चल रहे अनबन वाले मसले को सुलझाया जाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को फिर से बहाल करने का अभूतपूर्व कदम उठा सकती है, ताकि केंद्रीय बैंक को समय-समय पर दिशानिर्देश दिए जा सकें।
बता दें कि आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 7 के अंतर्गत, “केंद्र सरकार समय-समय पर आरबीआई को जैसे चाहे दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। हालांकि जनता के हित को ध्यान में रखने हुए इसमें बैंक के गर्वनर का परामर्श जरूरी होगा।” एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खबर यह भी सामने आई थी कि मोदी सरकार ने आजाद भारत के इतिहास में पहली बार इस कानून को बहाल किया है।
क्या है आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7?
आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के मुताबिक सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वो जनता के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक को दिशानिर्देश जारी कर सकती है। वो समय समय पर ऐसा आरबीआई गर्वनर के परामर्श पर कर सकती है। इसके आगे सेक्शन 7 का सब सेक्शन कहता है कि इस तरह का आदेश बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट को अधिक शक्तिशाली बना देगा और बैंकिंग से जुड़े सभी कामकाजों पर इसी का नियंत्रण होगा। इससे आदेश से पहले बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट से अधिक अधिकार गवर्नर के पास माने जाते थे।
गौरतलब है कि इस मामले में अपडेट ऐसे समय में सामने आया है जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य केंद्रीय बैंक की अधिक स्वायतता की वकालत करते हुए यह चेता चुके हैं कि केंद्रीय बैंक की शक्तियों को कमजोर करना संभावित रूप से विनाशकारी हो सकता है।

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